शुक्रवार, 3 मई 2013

शूलिका- ७३

सत्यता से बड़तीहै कटुता
असत्यता से बड़ती है मधुरता
भेद असत्य जब है खुलता
तो आखिर में छा जाती कटुता

शूलिका  -७४

सत्य का
माप है दंड
[मापदंड = माप +दंड ]

संजय जोशी "सजग "

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