दायित्व,कर्त्तव्य और अधिकार के प्रति रहो हमेशा सजग....
[इसको व्यक्त करने का माध्यम मेरे लिए ---शूलिका(किसी बात को कम शब्दों मे कहना और उससे मन मे चुभन का अहसास हो) एवं व्यंग्य]
बुधवार, 8 मई 2013
शूलिका -१०३
शूलिका -१०३ विद्वान् करते नव सृजन अपने ज्ञान से मूर्ख छपाते चोरी करे उसे अपने नाम से और दिखाते अपना गर्व अभिमान से .... हम कितने है उनसे महान साहित्य का ऐसा जहान
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