शूलिका --८८
हर कोई
दिखाते
है झूठे सपने
रोज खोलते
नये पिटारे अपने
सब कुछ भूलते
क्या किये थे वादे
सिर्फ ढूंढते फायदे
और बुनते सपने
संजय जोशी "सजग "
हर कोई
दिखाते
है झूठे सपने
रोज खोलते
नये पिटारे अपने
सब कुछ भूलते
क्या किये थे वादे
सिर्फ ढूंढते फायदे
और बुनते सपने
संजय जोशी "सजग "
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