शुक्रवार, 3 मई 2013

शूलिका --८८

शूलिका --८८

हर कोई
दिखाते
है झूठे सपने
रोज खोलते
नये पिटारे अपने
सब कुछ भूलते
क्या किये थे वादे
सिर्फ ढूंढते फायदे
और बुनते सपने

संजय जोशी "सजग "

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