बुधवार, 8 मई 2013

हायकू ----

हायकू ----
२६ जनवरी -
हुई शान से
रस्म की आदायगी
हर साल सी

 -------------------------
-----संस्कृति का
आधार होते युवा
नभ है छुआ

-----------------------


किताब तो है
फेसबुक खा गई
समय पूरा
------------------







प्रेम का माप
जितना बड़ा बिल
उसका दिल
------------------------


बयान बिना
सोचे देना आदत
में सुमार है


------------------

बालिग हो या
नाबालिग गलत
काम हो सजा
------------------


किसान दुखी
फसले हुई नष्ट
ओले बारिश
---------------


पुनरावृति
भ्रष्टो की है प्रवृति
केसे निवृति
---------------

घड़ी का धर्म
देती संदेश हमे
सतत कर्म

______________________

भीगा बसंत
ठंडी चली बयार
पतझड़ भी
_______________


नीला आकाश
हरी भरी हो धरा
मिले सुकून 

______________

शिक्षा परीक्षा
ज्ञान का परिणाम
कर्म का फल
______________


 आती विपत्ती
धीरज खोते सब
विरोधी खुश
______________


केसा मंजर
बेकाबू हड़ताल
सम्पति खाक
___________

आत्म विश्वास
मजबूत इरादे
छुते गगन
_____________








सपने सच
सकारात्मक लक्ष्य
आसान राह
___________


दहला देश
भारत माता दुखी
है कायरता

_____________

आता बजट
घोटता अरमान
दिखाता घाटा

__________________


शुभकामना
देती शक्ति व जोश
मान हितेषी 

______________

आशा धूमिल
दे सर पर चार्ज
कहे तोहफा

_____________

बजट आम
खट्टा व कसेला
न रस ,स्वाद
_____________


होली रंगोली
जीवन को दे रंग
प्रिय के संग
________________

चुटकी रंग
जीवन में तरंग
छाए उमंग

____________

होली के संग
रिश्तो में घुले रंग
फेले मिठास 

____________

पल कीमती
समय का पालन
उत्तम सुख

_____________

गठबंधन
स्वार्थ का है पुतला
लोक घातक

_______________

मुस्कराहट
आशा, आत्म विश्वास
शक्ति जाग्रत 

_______________

सदेव आशा
कोशिश कामयाब
विजय पक्की 

_____________
मन चंचल
सोच गति अपार
नभ से धरा 

____________
होती रंगीली
सब भुलाये होली
मित्रो की टोली 

_______________

रंगीली होली
खूब रंग सजाती
मित्रों की टोली

____________

बच्चो की टोली
इन्द्रधनुषी होली
हंसी ठिठोली 


_____________

मिटाओ बेर
दिल से खेलो होली
रंगों जीवन 


____________
 रंग का मजा
हर चेहरा सजा
मस्ती ,उमंग

______________
 थके से हम
रंगों से सरोबार
है उत्साहित 

_____________
 व्यंग्य की विधा
प्रखर अभिव्यक्ति
सार्थक अर्थ

_____________

 प्रेम की पीर
परिपक्व गम्भीर
न हो अधीर 

_____________
 जल अमृत
बूंद -बूंद सहेज
दिखा न दम्भ 

______________

 मांगे सम्मान
दिखाए अभिमान
है स्वाभिमान 

______________
 सच्ची लगन
काम में हो मगन
छूए गगन

_____________
 रिश्ते बे दम
स्वार्थ हो हरदम
हो बे कदम 

_____________
 सदा दे उर्जा
हर लेती थकान
माँ की मुस्कान

_______________
रंग पंचमी
धूम मस्ती के संग
अलग ढ़ंग  

___________
 इन्द्रधनुष
जीवन सप्त रंग
उमंग संग 

__________
 माने अपना
दिखाये सही रास्ता
रखना वास्ता 



____________________
 शब्दों के बाण
घाव करे गम्भीर
दिल को चिर 

_______________

 
पालो वचन
राम जी को नमन
पाओ अमन 


________________



प्रकृति कोप
प्रदुषण प्रकोप
मन में खोप  

_____________
 हेवानियत
लुटती है इज्जत
व्यथा देश की 

____________

 ज्ञान बड़ना
संस्कार का घटना
ढेरो तनाव 

___________
 
भक्ति अपार
ज्ञान गुण सागर
जे हनुमान 

---------------
 जब हसंते
कई रोग भगाते .
आनन्द पाते 

---------------










 












 


कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें