सोमवार, 13 मई 2013

   मुक्तक


वृक्षों की कटाई से  हो रही  निरंतर कमी
शुद्ध हवा की भी हो रही निरंतर कमी
बढ़ते हुए  प्रदूषण से जीना हुआ दूभर
इससे  जल की भी हो रही निरंतर कमी
                                            संजय जोशी "सजग "

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