दायित्व,कर्त्तव्य और अधिकार के प्रति रहो हमेशा सजग....
[इसको व्यक्त करने का माध्यम मेरे लिए ---शूलिका(किसी बात को कम शब्दों मे कहना और उससे मन मे चुभन का अहसास हो) एवं व्यंग्य]
बुधवार, 8 मई 2013
शूलिका -१२२
शूलिका -१२२
शादी न रही सादी धन की है बर्बादी सब दिखावे के आदि यह कहती थी दादी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें