शुक्रवार, 3 मई 2013

शूलिका -९३

दुर्योधन के
संस्कार जिन्दा है .
ध्र्ष्टराष्ट्र समान
पिता भी है
भीष्म पितामह
जेसे लोग मौन है
 




 शूलिका -९३



कृष्ण जैसा
नही कोई सारथी
हमारी संस्कृति में
कितनी आगई विकृति
सरे आम हो रहा
है चीर -हरण
खुले आम हो रहे
बलात्कार
मिले फांसी सजा
सरे आम .....
तभी रुकेंगे
ऐसे घृणित काम

संजय जोशी "सजग "

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