सोमवार, 29 अप्रैल 2013

रहता कुंठित मन
खोता चेन अमन
भावो को होता शमन
रिश्तो को सहता बेमन

                         संजय जोशी "सजग "

शूलिका- ६०

शूलिका- ६०

जीवित
को उलहना
मृत को
मिलती
सरहाना
क्या अजीब
होता नसीब

संजय जोशी "सजग "

शूलिका-५९

शूलिका-५९

जड़ काटते
जाओ
पानी देते
जाओ
है यही देश
के तंत्र हाल
इसी लिए
है बेहाल

संजय जोशी "सजग"

शूलिका-५८

शूलिका-५८

आज कल -----------
वस्तुओ मे मिलावट
सम्बन्धो में बनावट
व्यवहार में दिखावट
घरो में सजावट
परिवार में टकराहट
बच्चो में चिडचिड़ाहट
राजनीती में बड़बड़ाहट
सरकार में बौखलाहट
नेतिक मूल्यों में गिरावट
सत्य से हिचकिचाहट ....
चल रहा है . दौर
न कोई है इसका छोर

संजय जोशी "सजग "

शूलिका --५७

शूलिका  --५७
'बाल दिवस '
वर्ष मे केवल एक दिवस -मात्र ओपचारिक

बचपन
बह जाता है ....
तनाव की नाव मे
सीमेंट कंक्रीट की छाँव मे
माँ-बाप के अरमान मे
केवल किताबी ज्ञान मे

संजय जोशी 'सजग'

शूलिका---५६

शूलिका---५६

हमारे देश की
राजनीति में
है सिर्फ "कोलाहल"
कुछ नही
हल

संजय जोशी "सजग "

शूलिका--५५

शूलिका--५५

कोई कहता इसको हटाओ
कोई कहता इसको लाओ
कोई कहता भ्रष्टाचार मिटाओ
कोई कहता लोकपाल लाओ
सब कहते घहन अंधकार भगाओ
सब कहतदेश में नया सवेरा लाओ
स्वार्थ की राजनीती से मुक्त कराओ
जन -जन में आशा की किरण जगाओ

संजय जोशी "'सजग ""

शूलिका -५४

शूलिका -५४

बाजार
है गुलजार
बुलाते बार-बार
जेब को करते
जार-जार
है नही इसका पार
चाहत है अपार
शांपिग का हों
जाता शौक तो
जीवन लगता भार

संजय जोशी ""सजग ""

शूलिका---५३

शूलिका---५३

भ्रष्ट रिश्वत दलाली खाते I
स्वीस बैंक में उनके खाते II
अनुचित धन वहां छुपाते I
देश के प्रति झूटी निष्ठा दिखाते II
विकास के लिये धन का रोना रोते I
विदेशो से क़र्ज़ के लिये रास्ता खोलते II
देश में आर्थिक मंदी कि दुहाई देते I
जनता का सपने यूही तोड़ देते II
यह हमारे देश का दुर्भाग्य है I
पहले अंग्रेजो ने लूटा है II
अब सफ़ेद पोश लूट रहे है I
सेवा कि शपत का अपमान कर रहे है II

संजय जोशी " सजग "

शूलिका ५२

शूलिका  ५२

देश में राजनीती
रोज- रोज मनाती है
दीपावली .
फूटते है ' बम .'.......
मंहगाई के
घोटालो के
छुटते है 'रॉकेट '
आरोप -प्रत्यारोप..के
विवादित बयानों के
जलती है' फुलझड़ी .'....
झूटे आश्वासनों की
घड़ियाली आँसू की
देश का निकल रही
दिवाला
ऐसी मनती रोज दीपावली ....

संजय जोशी "सजग "

शूलिका---५१

शूलिका---५१

पाड़ो की लड़ाई में
होता है बागड़ का नाश
नेताओ की लड़ाई में
देश का होता विनाश
बुद्धि जीवी की चुप्पी से
होता है सत्यानाश
ऐसी लड़ाई न हो काश
कि जनता हो हताश

संजय जोशी ""सजग "

शूलिका---५०

शूलिका---५०

अपनाकर फैशन
करते है बाल डाई...
धीरे -धीरे उनके
बाल हो जाते है डाई ...

संजय जोशी "सजग "
 शूलिका --४९

सम्मान
जिसको नही
पचता
वह सबको पचाता है

संजय जोशी ""सजग ""

शूलिका----४८

शूलिका----४८

विदेशो में
जो ब्रांड डेड ...हो गये
वो भारत में
ब्राण्डेड हो गये है .....

संजय जोशी "सजग "

शूलिका-४७

शूलिका-४७

सोने की चिड़िया था भारत
कितना समृद्ध था
देश हमारा
ध्वस्त होगया अर्थतंत्र
जब से हुआ भ्रष्टतंत्र
यह केसा लोकतंत्र
पक्ष -विपक्ष है स्वतंत्र
जनता है परतंत्र
आगाज हो आये जनतंत्र

संजय जोशी "सजग "

शूलिका---४६

शूलिका---४६

हिंदुस्तान की चीत्कार
आजादी की है पुकार
सपने नही हुए साकार
आदर्शो को दिया नकार
शहीदो के बलिदान किये बेकार
आज की राजनीती में है कई विकार
बेईमानी से किया सरोकार
नेता हो गये है झूठे मक्कार
असत्य की हो रही जय-जय कार
जनता सह रही है हा-हा कार

संजय जोशी "सजग "

शूलिका---४५

शूलिका---४५

राजनीती में
दल और दल
बड़ा रहे
दल-दल
सबको रहा
खल
हर कोई दिखता
अपना बल

संजय जोशी ""सजग ""

शूलिका---४४

शूलिका---४४

संस्कृति व संस्कार को भूले
पश्चिमी सभ्यता में ऐसे घुले
कपड़े पहनने लगे अधखुले
और नही समा रहे है फूले

संजय जोशी ""सजग ""

शूलिका---४३

शूलिका---४३

चल रहा रेली का खेल
आम जनता रही झेल
सब करते सडक जाम
रोज रोज का यही काम
कोई दल बजा रहा बीन
कोई करे नोटंकी का सिन
कोन सही कोन और गलत
एसा करने की पड़ गई सबको लत

संजय जोशी "सजग "

शूलिका-----४२

शूलिका-----४२

भ्रष्टाचार की खिचड़ी ऐसी पकी
देश मे चपरासी हो गए करोड़पति
तो अधिकारी ,मंत्री होंगे अरबपति
बदहाली की कहानी यही लगती

संजय जोशी "सजग"

शूलिका-----४१

शूलिका-----४१

+++++भ्रष्टाचारी +++++++
बिना हथियार के
देश और जनता को
लुटने वाले
सत्य निष्ठा की
शपथ खाने वाले
सदाचार और जनसेवा
का ढोल पीटने वाले
करोड़ो में खाने वाले
ये है देश के रखवाले
छिनते है आम जनता के निवाले
लोकतंत्र इनके है हवाले

संजय जोशी "सजग "

शूलिका----४०

शूलिका----४०

|सब खोल रहे एक दुसरे की पोल
रजनीति हो रही डावाडोल
देश का बिगड़ रहा माहोल
बेलगाम हो रहे नेताओ के बोल
इससे घटताहै देश का मान
लोकतंत्र का होता है अपमान
जनता के घुट रहे अरमान
करो ऐसे काम बड़े देश का सम्मान
नेताओ तोल मोल के बोलो
आग में घी मत डालो I
देश के विकास का द्वार खोलो
गन्दी रजनीति कुचल डालो

संजय जोशी "सजग"

शूलिका-३९

शूलिका-३९

बालीवुड में अभद्रता
टीवी शो में फूहड़ता
राजनीति में कटुता
समाज में विषमता
गुम हो रही शालीनता
बढ़ रही अश्लीलता
नष्ट हो रही सरलता
वर्तमान की यही सत्यता

संजय जोशी "सजग "

शूलिका -३८

शूलिका -३८

चंदा वसूली संस्कृति I
समाज मै आती विकृति II
चंदा लेकर करते भक्ति I
बतलाते अपनी शक्ति II
होता हुरदंग और मस्ती I
वाह..ये कैसी होती भक्ति II
धर्म की हो रही दुर्गति I
कब आयेगी जाग्रति II

संजय जोशी "सजग"

शूलिका...३७

शूलिका...३७

सुंदर घर हो अपना
केसे पूरा हो सपना I
भूमाफिया का है जाल
सरकार को नहीं मलाल I
और महगाई से बुरा हॉल
तीखा सरिया ओर ईट लाल I


संजय जोशी ""सजग ""

शूलिका -३६

 शूलिका -३६

परिवर्तन
स्रष्टि का
है नियम
फेर बदल
दलबदल
राजनीती का
में है आम
चाहे देश की प्रगति
हो जाम.....

संजय जोशी ""सजग "

शूलिका---३५

शूलिका---३५

शांपिग मॉल
पर खूब लुट
कर आते
और छोटे दुकान
व् सब्जी वालो से
खूब भाव -ताव
कर आनन्द पाते....

संजय जोशी "सजग ""

शूलिका-३४

शूलिका-३४

सुख की चाह
में इन्सान
जाता है सूख
क्योकि कभी
नही होती खतम
लालसा की भूख

संजय जोशी "सजग "
शूलिका--३३

भारत की
जुगाड़ संस्कृति
को विदेशों में भी
सराहा ......
पर विडम्बना है
की नेताओ ने
इसे राजनीती
में भुनाया.....
और आम जनता को
खूब बहलाया .....

संजय जोशी "सजग "
शूलिका--३२

सबने किया किया देश को बोट
हर दल में छाई है खोट ही खोट
देश सेवा नही केवल चाहिए नोट
सब ने है डसा किसे दे अपना वोट

संजय जोशी ""सजग "

शूलिका--३१

शूलिका--३१

किसान
का जीवन
केवल
दर्द ही दर्द
न कोई है
हम दर्द

संजय जोशी ""सजग "
## शूलिका---३० ####

रावण दहन हमें सिखाता
कई सबक
नही सिखने की
ललक
बुराई का अन्त सदा बुरा
जेसे विनाश रावण....का

संजय जोशी "सजग "
* शुलिका 1 * 
घोटाले पर घोटाले 
जब खुलते घोटाले 
हर दल उसको टाले
सब के हाथ है काले
संजय जोशी "सजग"


* शुलिका 2 *
महंगाई के बम फूटे 
सरकार के बहाने झूटे

संजय जोशी "सजग"

## शुलिका 3 ##

हमारा माल
बेचे विदेशी मॉल
केसा बिछा रहे जाल
क्यों कर रहे हलाल 
देश होगा कंगाल 
जनता होगी बदहाल

संजय जोशी "सजग"

# शूलिका #
-4
राजनीति का द्वन्द
धरना, प्रदर्शन, बंद
खुश होते है कुछ चंद
कितने चूल्हे रहते बंद

संजय जोशी "सजग"


शूलिका #-5
घोटाले का बीज बोओ

भ्रष्टाचार से सींचो
रिश्वत के फल तोड़ो
ऐसे पेड़ पर लगते पैसे
*कौन कहता है ..पैसे पेड़...पर नही लगते ..............

संजय जोशी "सजग"


*शूलिका[6] *
खनन 
चल रहा है 
सनन.....
करना होगा 
मनन 
पर्यावरण का 
हो रहा है दमन 
भ्रष्ट हो रहे है चमन .....

शूलिका[7]
दिल मांगे मोर 
ज्यादा मिले तो 
हो जाता बोर .......

शूलिका [8]
२०-२० याने 
फटाफट क्रिकेट 
तू चल में आया 
हमे नही भाया
आस्ट्रेलिया ने 
केसा है धोया
भारत ने खोया 
सम्मान है ......


शूलिका [०८.२]
मनुष्य के वेश मैं
कई उल्लू है देश मै
सच कहो आते तेष मै
क्या करे ऐसे केस मै


* शूलिका *[०९]
कतार 
बन गई राष्ट्रीय 
समस्या 
इसमे लग कर 
करनी पड़ती तपस्या 
आशा उत्साह को 
करती तार -तार 
होता है यह बार -बार


# शूलिका #[१०]

चुनाव की 
तिथि आते ही ....
जितने की 
जुगाड़ .में आरोप 
प्रत्यारोप......
का दोर हो गया शुरू ..
घटिया राजनीती का 
का यही है सहारा .

मत दाता क्या करे बेचारा


* शूलिका * [११]
नेता गिरी 
सच से दुरी 
झूठ से सबुरी 
भ्रष्टाचार है क्या मजबूरी !


### शूलिका ###
हर कोई कर रहा प्रयोग 
कैसा अजीब है संयोग 
मशीनों से हो रहा योग 
ऐसे में कैसे भागे रोग


### शूलिका###[ १३]
घोटाले 
पर घोटले होते 
देश में 
सुनने के 
बाद आते तेष में 
क्यों नही 
खुलते राज 
शुरू या बिच में ...!


# शूलिका #[१४]
चापलूसी और बेईमानी 
इमानदार की है परेशानी 
हर कहीं है यह बीमारी 
अब बन चुकी है महामारी 
सच्चाई पर है बहुत भारी
इमान और मेहनत है हारी


* शूलिका [१५] 
आज की राजनीति--------
आओ एक खेले 
मिलकर खेल 
एक दुसरे की .
पोल खोले 
झूट बोले 
एक दुसरे से 
बड़ चड़ कर बोले .....



* शूलिका *[१६]
एक नेता का देखो कमाल
शादी की उम्र हो पन्द्रह साल 
सोच के कर रहे नारी का अपमान 
करो अपने कानून पर अभिमान 
उसकी प्रगति को मत करो जाम 
संस्कृति का बहुत बुरा होगा अंजाम


शूलिका---१७ 
राजनीति और
कुश्ती 
दोनों में ही 
लगाये जाते 
दाव और पेंच .....


शुलिका -17
कहते है सांच
को नही आंच 
कोयले, भ्रष्टाचार 
और महंगाई की आंच 
में झुलस रहा है 
हर आम आदमी ...


शूलिका -१८
कैसा भी हो अभाव
छोड़ता अपना प्रभाव 
बदल जाता स्वभाव 
इन्सान के हाव -भाव 
नही रहता समभाव
आजाता है दुर्भाव


शूलिका-१९
मच्छर और 
नेता 
दोनों ही चूसते 
एक खून.. को 
दूसरा देश ..को


शूलिका---२० 
मॉल ओर 
भ्रष्टाचार का
माल
नेताओ को 
दोनों पसंद आते है


शूलिका-२१
आजलक 
टोपी 
ओर झंडे 
बन गये 
अनशन 
की शान 
जनता कुछ 
भी मान ......


शूलिका---22
सत्य और असत्य की जंग है जारी
देश के विकास में अवरोधक है भारी !


शूलिका-२३
कहने को हम 
जन्म से स्वतंत्र है 
पर कदम कदम 
है परतंत्र है !


शूलिका-24
आय से अधिक सम्पति 
भ्रष्टाचार से होती प्रगति 
यह जाँच से है खुलती 
फिर लगती है विपत्ति 
रूकती देश की उन्नति 
आम आदमी को खलती.
देश की आत्मा है कचोटती 
फिर भी नही आती सन्मति 
शेरो वाली माँ इतनी दे शक्ति 
देश को मिले ऐसे लोगो से मुक्ति


 शूलिका-२५
आग वहीं लगती है 
जहाँ चिंगारी होती है 
आरोप वहीं पनपते है 
जहाँ दाल में काला है


शूलिका--२६
देश में है कई आयोग
हर बार होता नया योग 
नित -नये करते प्रयोग 
राजनीती का है यह ढोंग


शूलिका -२७ 
देश में 
अपराध 
दिनों -दिन 
अप ....
होरहे है ....


शूलिका--२८
विभीषण 
क्यों बना 
विभीषण 
क्योकि ...
वह रावण 
के भीषण प्रकोप 
का ग्रसित था ......


शूलिका--२९

नवरात्रि में होता कन्याभोज I
करनी पड़ती कन्या की खोज I 
भ्रूण हत्या हो रही रोज I
अंजाम देती डॉक्टर की फ़ौज I
कन्याए खो रहे अन्धविश्वास में I
जी रहे हें आधुनिकता के छद्म वेश में I
कौन कहता हे इक्कीसवी सदी हे I
सोच तो आज भी रूढ़िवादी हेI