सोमवार, 29 अप्रैल 2013

शूलिका-४७

शूलिका-४७

सोने की चिड़िया था भारत
कितना समृद्ध था
देश हमारा
ध्वस्त होगया अर्थतंत्र
जब से हुआ भ्रष्टतंत्र
यह केसा लोकतंत्र
पक्ष -विपक्ष है स्वतंत्र
जनता है परतंत्र
आगाज हो आये जनतंत्र

संजय जोशी "सजग "

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