सोमवार, 29 अप्रैल 2013

* शुलिका 1 * 
घोटाले पर घोटाले 
जब खुलते घोटाले 
हर दल उसको टाले
सब के हाथ है काले
संजय जोशी "सजग"


* शुलिका 2 *
महंगाई के बम फूटे 
सरकार के बहाने झूटे

संजय जोशी "सजग"

## शुलिका 3 ##

हमारा माल
बेचे विदेशी मॉल
केसा बिछा रहे जाल
क्यों कर रहे हलाल 
देश होगा कंगाल 
जनता होगी बदहाल

संजय जोशी "सजग"

# शूलिका #
-4
राजनीति का द्वन्द
धरना, प्रदर्शन, बंद
खुश होते है कुछ चंद
कितने चूल्हे रहते बंद

संजय जोशी "सजग"


शूलिका #-5
घोटाले का बीज बोओ

भ्रष्टाचार से सींचो
रिश्वत के फल तोड़ो
ऐसे पेड़ पर लगते पैसे
*कौन कहता है ..पैसे पेड़...पर नही लगते ..............

संजय जोशी "सजग"


*शूलिका[6] *
खनन 
चल रहा है 
सनन.....
करना होगा 
मनन 
पर्यावरण का 
हो रहा है दमन 
भ्रष्ट हो रहे है चमन .....

शूलिका[7]
दिल मांगे मोर 
ज्यादा मिले तो 
हो जाता बोर .......

शूलिका [8]
२०-२० याने 
फटाफट क्रिकेट 
तू चल में आया 
हमे नही भाया
आस्ट्रेलिया ने 
केसा है धोया
भारत ने खोया 
सम्मान है ......


शूलिका [०८.२]
मनुष्य के वेश मैं
कई उल्लू है देश मै
सच कहो आते तेष मै
क्या करे ऐसे केस मै


* शूलिका *[०९]
कतार 
बन गई राष्ट्रीय 
समस्या 
इसमे लग कर 
करनी पड़ती तपस्या 
आशा उत्साह को 
करती तार -तार 
होता है यह बार -बार


# शूलिका #[१०]

चुनाव की 
तिथि आते ही ....
जितने की 
जुगाड़ .में आरोप 
प्रत्यारोप......
का दोर हो गया शुरू ..
घटिया राजनीती का 
का यही है सहारा .

मत दाता क्या करे बेचारा


* शूलिका * [११]
नेता गिरी 
सच से दुरी 
झूठ से सबुरी 
भ्रष्टाचार है क्या मजबूरी !


### शूलिका ###
हर कोई कर रहा प्रयोग 
कैसा अजीब है संयोग 
मशीनों से हो रहा योग 
ऐसे में कैसे भागे रोग


### शूलिका###[ १३]
घोटाले 
पर घोटले होते 
देश में 
सुनने के 
बाद आते तेष में 
क्यों नही 
खुलते राज 
शुरू या बिच में ...!


# शूलिका #[१४]
चापलूसी और बेईमानी 
इमानदार की है परेशानी 
हर कहीं है यह बीमारी 
अब बन चुकी है महामारी 
सच्चाई पर है बहुत भारी
इमान और मेहनत है हारी


* शूलिका [१५] 
आज की राजनीति--------
आओ एक खेले 
मिलकर खेल 
एक दुसरे की .
पोल खोले 
झूट बोले 
एक दुसरे से 
बड़ चड़ कर बोले .....



* शूलिका *[१६]
एक नेता का देखो कमाल
शादी की उम्र हो पन्द्रह साल 
सोच के कर रहे नारी का अपमान 
करो अपने कानून पर अभिमान 
उसकी प्रगति को मत करो जाम 
संस्कृति का बहुत बुरा होगा अंजाम


शूलिका---१७ 
राजनीति और
कुश्ती 
दोनों में ही 
लगाये जाते 
दाव और पेंच .....


शुलिका -17
कहते है सांच
को नही आंच 
कोयले, भ्रष्टाचार 
और महंगाई की आंच 
में झुलस रहा है 
हर आम आदमी ...


शूलिका -१८
कैसा भी हो अभाव
छोड़ता अपना प्रभाव 
बदल जाता स्वभाव 
इन्सान के हाव -भाव 
नही रहता समभाव
आजाता है दुर्भाव


शूलिका-१९
मच्छर और 
नेता 
दोनों ही चूसते 
एक खून.. को 
दूसरा देश ..को


शूलिका---२० 
मॉल ओर 
भ्रष्टाचार का
माल
नेताओ को 
दोनों पसंद आते है


शूलिका-२१
आजलक 
टोपी 
ओर झंडे 
बन गये 
अनशन 
की शान 
जनता कुछ 
भी मान ......


शूलिका---22
सत्य और असत्य की जंग है जारी
देश के विकास में अवरोधक है भारी !


शूलिका-२३
कहने को हम 
जन्म से स्वतंत्र है 
पर कदम कदम 
है परतंत्र है !


शूलिका-24
आय से अधिक सम्पति 
भ्रष्टाचार से होती प्रगति 
यह जाँच से है खुलती 
फिर लगती है विपत्ति 
रूकती देश की उन्नति 
आम आदमी को खलती.
देश की आत्मा है कचोटती 
फिर भी नही आती सन्मति 
शेरो वाली माँ इतनी दे शक्ति 
देश को मिले ऐसे लोगो से मुक्ति


 शूलिका-२५
आग वहीं लगती है 
जहाँ चिंगारी होती है 
आरोप वहीं पनपते है 
जहाँ दाल में काला है


शूलिका--२६
देश में है कई आयोग
हर बार होता नया योग 
नित -नये करते प्रयोग 
राजनीती का है यह ढोंग


शूलिका -२७ 
देश में 
अपराध 
दिनों -दिन 
अप ....
होरहे है ....


शूलिका--२८
विभीषण 
क्यों बना 
विभीषण 
क्योकि ...
वह रावण 
के भीषण प्रकोप 
का ग्रसित था ......


शूलिका--२९

नवरात्रि में होता कन्याभोज I
करनी पड़ती कन्या की खोज I 
भ्रूण हत्या हो रही रोज I
अंजाम देती डॉक्टर की फ़ौज I
कन्याए खो रहे अन्धविश्वास में I
जी रहे हें आधुनिकता के छद्म वेश में I
कौन कहता हे इक्कीसवी सदी हे I
सोच तो आज भी रूढ़िवादी हेI

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