गुरुवार, 29 अगस्त 2013

व्यंग्य

                    भूख और भूख

भूख की व्यथा और कथा अनंता है , पेट की भूख से गरीब पीड़ित है I भूख की गति भूखा ही जान सकता है ,गरीबी का क्या मापदंड है वो सरकार ही जाने बेचारी जनता की समझ  से परे है I जिसने भूख एवं गरीबी देखी है  वो ही इस व्यथा को समझ सकता है , सरकार मे बैठे लोग ये क्या समझेगे , जिन्होंने हमेशा दूसरो का हक छीना और खाया है I पेट की भूख तो खाने के बाद ही शांत हो जाती है और कई तरह की भूख होती है जो कभी भी शांत नही होती है , सबको अशांत करती रहती है I
                          नेताओ को वोट की भूख , चुनाव जीतने के बाद पद की भूख और पद मिलने के बाद नोट की भूख , नोट की भूख इतना व्याकुल कर देती है की भ्रष्टाचार कर लूटते  है , सभी सीमाओ को लाँघ जाते है , फिर भी भूख शांत नही होती , शायद सात पीढ़ी की भूख को शांत करने के लिए ऐसा करते है I
                          बॉलीवुड मे शोहरत की भूख के कारण अभिनेत्रियों के कपड़े सिकुड़ते जा रहे है , अंग प्रदर्शन बढता जा रहा है , जो हमारी संस्कृति को विकृत करता जा रहा है I डॉक्टरो की धन की भूख से फीस , कमीशन और गिफ्ट से
डॉक्टरो की प्रतिष्ठा का पतन जारी  है और निरंतर जारी रहेगा I विद्या के मंदिर भी धन की भूख से अछूते नही है, शिक्षा पर धन किस तरह हावी है सब जानते है I शिक्षक की  ट्यूशन की भूख जग जाहिर है I कवियों को वाह...वाह...! की भूख के कारण स्तरहीन एवं द्विअर्थी संवादों का चलन बढता जा रहा है I महिलाओ को आभूषण की भूख , आसमान छू रहे चांदी-सोने की कीमतों से भी कम नही हो रही है , चाहे कितने भी भाव बढ जाये ,भूख बढती जाएगी I
                            किसी ने सही ही कहा है की संतुष्टि मृत्यु है अत: सभी सामाजिक प्राणियों ने किसी न किसी भूख को गले लगा रखा है , जैसे दृश्य मीडिया को ब्रेकिंग न्यूज़ की भूख , समाचार पत्रों को पहले पेज पर अच्छी खबर की भूख , प्रेमी-प्रेमिकाओ को प्यार की भूख , बस वालो को सवारी की भूख , चैनल वालो को टी.आर.पी . की भूख , धर्म गुरु को भक्तो की भूख, भक्त होंगे तो धन अपने आप आ जायेगा I विद्यार्थियो को अच्छे नंबर की भूख कभी शांत नही होती I
बेटे की चाहत की भूख से रोज़ हो रही भ्रूण हत्या I हर कही भूख ही भूख का माहोल है I  भूख ने सामाजिक परिवेश को छिन्न - भिन्न कर दिया है I जो जितना बड़ा आदमी है उसकी भूख उतनी बड़ी है तो बेचारे गरीब की भूख कौन सोचेगा और समझेगा I
                                 कोई नही भूख हरता I
                           भूख कथा है अनंता II

संजय जोशी "सजग"

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