मंगलवार, 7 जुलाई 2015

योग बनाम महायोग [व्यंग्य ]

योग बनाम महायोग   [व्यंग्य ]
                  योग तेरे कितने अर्थ जिसने जो समझा वहीं माना ,एक योग का मतलब शरीर को स्वथ्य रखने का योग ,दूसरा अर्थ है जोड़ना जो योग और महायोग होता हैl  धन का महायोग  करने वालों  का  इस योग  में पूरा जीवन यूँ  हीं  बीत  जाता है पर यह महायोग समाप्त ही नहीं होता है और  न जाने कब जीवन का अंत हो जाता है lपत्थर से पत्थर का तो योग हो जाता है पर मनुष्य से  मनुष्य का योग  मुश्किल से होता है जिसे केवल स्वार्थ की सीमेंट जोड़ें रखती है l 
         नेताओं का पद और कुर्सी के साथ योग अनंत समय तक चलने वाला  महायोग है जो धन और काले धन के योग का कारक है यह  फेविकोल के जोड़ से कई गुना ज्यादा मजबूत होता है l जोड़ से बड़ा गठजोड़ कर कुर्सी से चिपकना महायोग है l चुनाव के समय हर मतदाता से जुड़ने  का कारण वोटों  का महायोग करना, वरना कौन किसकी चिंता करता है l चुनाव के पहले  बकासन और बाद में  चुप्पासन  करने में ही अपनी भलाई समझता है lजिस देश में डिग्री का कोई महत्व नहीं  है वहां फर्जी डिग्री लेकर डिग्री के योग में लगे हुए है  l कुछ नेता  बकासन के बल पर ही अपनी राष्ट्रीय छवि में निरंतर महायोग करते रहते है lनौटंका आसन के सहारे अपनी  ख्याति  को चार चाँद लगाने की हरदम कोशिश करते है वह  भी उल्टा असर दिखाती है और कार्टून का  महायोग  बन जाता है l 
                 योग जब राजनीति  का महायोग बन जाता है तब सब अपने -अपने योग आसन करने लग जाते है योग जैसी विधा पर प्रश्नकाल आ जाता है जन समान्य तो  अपने योग से मतलब रखता है l फोटो वीडियो  तक सीमित रहने वाले वाले कार्यक्रमों  को  जनता अपना  दुरूपयोग समझने लगी है और स्वयं को  प्रयोग की वस्तु मानने लगी है  

 
    योग सिखाने वालों  ने अपनी संम्पति को  भी योग कराकर महायोग में बदल दिया ,धन का योग  भी एक कला है वरना पराये सुख से कौन सुखी हुआ है कदम -कदम पर  स्वार्थ का कालीन बिछा  है चलने वाले बिना मतलब के एक कदम भी नहीं  चलते है l उच्च वर्गीय को धन के अलावा कोई योग समझ  ही  नहीं  आता है निम्नवर्गीय सुबह  से शाम तक पेट के योग के लिए मेहनत करता है और  मद्यमवर्गीय  दोनों के बीच संतुलन बनाये रखने का योग करता है l न्यूज़ चैनल के योग से आप सब परिचित  है ही सच का झूठ और झूठ का सच करने का महायोग करने में निपुण होते हैl 

        योग तो योग हैं  जीवन में कुछ भी जोड़ने का काम करता है अग्रेजी में यह प्लस है  सरप्लस भी  हो जाता है l सरप्लस का भाव अंधा  बना  देता है  सब मानवीयता   भूलाकर l प्लस और सरप्लस ,योग और महायोग जीवन के अंतिम समय में सब  शून्य हो जाता है और मिट्टी में  मिलकर मिट्टी  से महायोग कर लेता है l योग और महायोग का यही अंतिम सत्य है l इसलिए सच को पहचानो 
योग से नाता जोड़ो और महायोग से वियोग करो। 

 संजय जोशी "सजग " [ व्यंग्यकार ]
मोब. न- 09300115151 
७८ गुलमोहर कालोनी ..
रतलाम [म  .प्र]

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