मंगलवार, 7 जुलाई 2015

हार की भड़ास [व्यंग्य ]

 हार की भड़ास [व्यंग्य ]
          वर्ल्ड कप क्रिकेट के सेमी फाइनल मैच की  हार का ठीकरा सोश्यल साइटों  पर अनुष्का पर ही फोड़ा जा रहा है जैसे वो ही  टीम की कप्तान हो ११खिलाड़ियों  की कोई जबावदारी ही नहीं बैट्समेन और बॉलरों  ने काफी निराश किया l सोश्यल साइटों  पर 
न जाने क्या -क्या बकवास चल रही है हर कोई अपने -अपने तरीकों  से उस एक मात्र महिला मित्र को जवाबदेह घोषित कर भारत की हार का  जिम्मेदार बता रहे हैं  l 
                       कईयों  ने तो बीमारी का बहाना बनाकर छुट्टी  ली होगी ,आज  हार का  गम और  बीबी की लताड़  तथा कल बॉस के यक्ष प्रश्नों का सामना भी तो  करना है l अनुष्का का सिडनी जाना जैसे गुनाह हो गया वाट्स एप  पर भी हर  मैसेज में उसे पनौती बताकर  धिक्कार रहे है l 
                     क्रिकेट हो या राजनीति हार का ठीकरा फोड़ने की पुरानी परम्परा है राजनीति  में तो हार का ठीकरा सर पर रखने की होड़ लगी  रहती है l जो हार का ठीकरा अपने सर पर रखेगा वह पार्टी का अनुशासित पदाधिकारी कहलाता है उसे  लगता है यह नौटंकी  ही पार्टी में भविष्य का निर्धारण करेगी l कुछ तो ठीकरा लेने में इतने उतावले होते है की  एक्जिट पोल के आंकड़े देख कर  ठीकरा ढोने की तैयारी कर लेते हैं कि कहीं बहती गंगा में दूसरा हाथ नहीं  धो जाए l 
      ठीकरा  फोड़ने की कला  में पत्नी भी कम नहीं होती ,अच्छा किया तो मैंने किया बुरा किया  तो आपका सर है ना ,चाहे टाट गंजी हो जाये अगले सात  जन्म तक चलता रहता है l  बच्चों  के परीक्षा परिणाम गिरने का ठीकरा बच्चे और पालक शिक्षक पर और शिक्षक शासन पर फोड़ते है 
    असफलता का ठीकरा फोड़ना कला है इसमें सब माहिर होते है हार की भड़ास निकालना भी एक कला है क्रिकेट एक जन सामान्य खेल हो गया है जिसने कभी बेट बॉल को छुआ तक नहीं  वे भी  इस कदर बहस करते नजर आयेंगे कि  कभी -कभी तो  लगता है एक टीम बनाकर उनको भी कहीं खेलने भेजना चाहिए  ताकि हकीकत समझे टीवी पर प्रश्न पर प्रश्न दागना आसान है। मैदान में बॉल की स्पीड और बाउंसर  देख कर पतलून गीली होने तक का खतरा रहता है ये तो खेलने वाला ही जान सकता है l 
            हारना जीतना खेल का हिस्सा रहता है जीतने पर तो  सर आँखों पर उठा लेते है और हारने पर  ठीकरे फोड़ने की गतिविधि शुरू हो जाती है  खिलाड़ियों  को कोसना और बिना सर पैर की टिप्पणी , ख़ेल भावना को आहत करती है l

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