मंगलवार, 7 जुलाई 2015

मिस्ड कॉल का क्रेज [व्यंग्य ]

        मिस्ड कॉल  का क्रेज [व्यंग्य ]
                       
        विक्रम बेताल के बेताल  की तरह ही ये बांकेलाल जी  भी आये दिन  कुछ न कुछ नया सुनाने को उतावले रहते है आज मिस्ड कॉल की लीला पर अपनी कथा शुरू कर दी कि आधुनिक भारत का नव निर्माण हो रहा है मिस्ड कॉल  से  ही पार्टी की सदस्यता  मिल जाती है तो स्वाभाविक है  लोगों  में क्रेज होने लगा है इसका l मिस्ड कॉल  देने वाले यूँ भी बहुत थे पर इससे कुछ और को भी संपट पड़ी और मिस्ड कॉल  मारने वालों  की संख्या में अचानक वृद्धि होने से टेलीकॉम कम्पनियां  हरकत में आ गयी वे सोचने लगी कि  अब समय आ गया है कि मिस्ड कॉल  करने का भी चार्ज वसूला जाये क्योंकि मिस्ड कॉल से भी लाइन तो बिज़ी हो  ही जाती है l जिसके पास मिस्ड कॉल  जाती है वह बेचारा पेशोपेश में रहता है की क्या करूं कॉल करूँ या मिस्ड कॉल अंततः  मिस्ड कॉल का क्रेज होने कारण  मिस्ड कॉल  कर देता है और  अपने कर्तव्य की  इतिश्री कर लेता है l हमारे देश में शाणो  की कमी नहीं  है सामने वाला फिर मिस्ड कॉल  का जवाब मिस्ड कॉल से  देता है और यह कर्म चलता रहता है क्योंकि हमें  मिस्ड कॉल  का क्रेज है इसमें हमारा क्या जाता  है 
                                 मिस्ड कॉल  की परम्परा तो पुरानी है जब प्रेमी -प्रेमिका को बात करनी होती है तो मिसकॉल  करके सिग्नल दिया जाता था पर जबसे वाट्सएप आया तो मिस्ड कॉल  का फैशन कम हुआ ही था कि राजनीति  ने फिर बड़ा दिया पहले 
मिस्ड कॉल देने वाले को शाणा  और कंजूस, मक्खीचूस माना  जाता था लेकिन जब राष्ट्रीय पार्टियां  मिस्ड कॉल  से सदस्य बना सकती है तो हम भी अपने वालों  को मिस्ड कॉल  देकर ब्रह्माण्ड में होने की सूचना देकर  बेफ़िक्र हो जाते है ,जिसको काम होगा  वो तो कॉल कर ही लेगा l
                 बांकेलाल जी कहने लगे कि  मिस्ड कॉल की महिमा अपरम्पार है ऑफिस 
से छुट्टी चाहिए तो बॉस को मिस्ड कॉल  देकर बरी हो जाओ बाद में माथे आये  तो कह  देते है कि कॉल  किया था पर आपने उठाया नहीं  और फिर आप कवरेज से बाहर  हो गए बॉस के पास सर फोड़ने के अलावा चारा ही क्या बचता है मिस्ड कॉल का मारा बेचारा l 
       वे कहने लगे कि  मिस्ड कॉल  का शौक  तो फोकट में ही पूरा हो जाता है 
और लोगों  को लगता है कि  स्मार्ट फोन यूजर है समाज में  झांकी  दिखती है सो अलग बेलेंस  की कमी को बड़ी  ही शिद्धत से बताते है तो  सामने वाला भी रहम कर छोड़ देता है और मिस्ड कॉल का चलन बढ़ता ही जा रहा है जब से राजनीति  ने मिस्डकॉल को हवा दी तब से इसके चाहने वाले बड़ गए और मिस्ड  एक कोड बनकर उभर  रहा है और ऐसे में बेचारी टेलिकॉम कम्पनियों के लिये इस मिस्ड कॉल  की बीमारी से निपटना मुश्किल हो जाएगा और कहीं  मिस्ड कॉल  को कॉल  की तरह  बना दिया  तो मिस्ड कॉल   प्रेमियों के अरमान आँसुओ में भीग जायेंगे  l 

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