बुधवार, 24 मई 2017

आप का जनमत तो गया [व्यंग्य ]

आप  का जनमत तो गया [व्यंग्य ]


             चुनाव के परिणाम आते ही बड़कू  भिया अपना ज्ञान पेलने में लग गए  और कहने लगे  कि यह पब्लिक है सब  जानती है l वादे नहीं विकास चाहिये l दिखावा नहीं हकीकत चाहिए l गिरगिट की तरह रंग बदलने वाले ,चींटी की   तरह काम करने वाले ,डॉगी की तरह भौकने  वाले को  जनता अब बर्दाश्त   नहीं करती  l अर्श और फर्श दोनों दिखाने की शक्ति से लबरेज जनता हमेशा रही  है  और रहेगी l जनमत के साथ जमानत भी चली जाये  तो उसे क्या कहेंगे ? आप तो ऐसे न थे ? आप का हश्र ऐसा क्यों हुआ ? कौआ हंस की चाल  कैसे चल सकता है ?पहले वोट और फिर  चोंट क्यों ? वोटर सौ  सुनार की एक लुहार की तर्ज पर चोंट करता है ,करेगा   क्यों नहीं ? वोटर की शक्ति तो वोट है  ना , चाहे  ऐवीएम   हो या बैलेट ,दबाना या  ठोकना तो उसे अच्छे से आता है l वोटर आजकल इसी  मौके  की तलाश करता है और मौका देखकर चौका क्या, छक्का मारता है l आप का था बस यही सपना  सभी वोटर  अपना ,सपना टूट गया जनाधार खिसक गया l आप का  यही सिद्धांत है कि  हम तो डूबेंगे सनम आप को भी ले डूबेंगे l 

        बड़कू भिया जो भी कहते  सच कहते है किसी भी विषय पर अपनी राय  रखने में  जरा भी देर नहीं करते और हिचकते भी नहीं है l झाड़ू ने दिल्ली में सबका सफाया किया था और  उसके बाद और गंदगी और बढ़ती गई   l इस ने बाहरी  सफाई अभियान  चलाया पर अंदर की गंदगी  से बाहर और  गदगी बढ़ गई और जनता परेशान होने लगी और जोर का झटका  धीरे से दे दिया l खिचड़ी पकी या नहीं ,  एक चावल  देख कर पता लगाया  जा सकता है उसी  प्रकार आप की खिचड़ी कच्ची निकली l कच्ची या अधपकी का स्वाद तो आप और हम ही जानते है l आम जन को टेंशन  का  डर दिखा -दिखा  कर चुनाव तो जीत लिया पर आप को "अपनों ने ही  लूटा और खूब  लूटा l जनता  जनार्दन है जब जब होता मान मर्दन तो वोट  ही शक्ति बन जाता है l 
  बड़कू भिया रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे और कहने लगे कि  पल्टूराम  नेता जनता   के अरमानो को टॉय -टॉय  फिस्स  कर देते है l ऐड़ा बनकर पेड़ा खाकर फिर चले आते है वोट की गुहार लेकर l आम ने आम की तरह जनता को  रस चूसकर गुठली की तरह फेंक  दिया l आम के आम और गुठली के  दाम  ,आम जनता ने  फिर अपना दम  दिखा दिया है ,और सूचक की तरह   सूचित  भी  कि  दिया मुगालते पालना बंद करो ,कुछ काम करो ,दूसरों  पर कीचड़ उछालना अब बंद भी करो l मुंगेरी लाल के हसीन सपनो से बाहर आओ l आम जनता ने जिसके लिये  चुना है वही  काम करो ,देश को चूना  लगाना बंद करो l जनता शिव की तरह  ही भोली है  विष  भी  पीती है और समय आने पर तांडव भी करती है l 
                       बड़कू भिया तैश  में आकर कहने लगे कि पांच साल  बहुत  ज्यादा होते है परखने के लिए l तीन साल होना चाहिए  ताकि  आम जनता को  कथनी और करनी में  अंतर करने वाले  नेताओ  और दलों से  से जल्दी मुक्ति मिले सके l नहीं तो जनमत और जमानत जब्त होने के बाद भी झेलते रहना लोकतंत्र की मजबूरी  हो गई है lआप के  बखेड़ों से जनता   आखिर कब तक न ऊबेगी  ?आप का भानुमति का पिटारा ऐसे  ढहेगा किसे पता था ?जनता सर आँखों पे जितनी जल्दी बैठाती है  उतनी जल्दी उतारती  भी है इसलिये जनमत तो गया और  कभी -कभी जमानत भी चली जाती है  देखते रहो कि  अब  जनता  काम देखेगी  चाहे  कोई भी  दल  हो ,दलदल  स्वीकार नहीं ये  नसीहत देकर भिया ने अपनी वाणी को विराम दिया l 

 संजय जोशी " सजग "

1 टिप्पणी:

  1. आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ’युवाओं के जज्बे को नमन : ब्लॉग बुलेटिन’ में शामिल किया गया है.... आपके सादर संज्ञान की प्रतीक्षा रहेगी..... आभार...

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