बुधवार, 24 मई 2017

कुतरने वाले बनाम गटकने वाले [व्यंग्य ]


 

                 
 हमारे देश में  एक प्रान्त ऐसा है जहां  मनुष्य चारा  खा जाता है और  चूहें  लाखो  लीटर शराब गटक जाते है यह बात  हजम तो नहीं हुई  है ,पर ऐसे प्रदेश की है  जहां कुछ भी सम्भव है l  गणित के हिसाब से माना कि चूहों  ने शराब गटकी होगी पर   चूहा तो शरीर के हिसाब ५-१०  मिलीलीटर   में ही   टुन्न  हो जाता  होगा  और टुन्न होकर सभ्य मनुष्य की तरह   चूहें कहीं  दुबक गये   होंगे,  तभी  तो  किसी को उनकी हरकत के बारे कुछ  पता नहीं चला ? जब  शराब खत्म होने को आई  होगी  तो  देश में  बवाल   मच  गया और यह खबर  सुर्खियों में  आ गयी l बेवड़े  और ,कलाली वाले और सतर्क हो गए और अपनी  देशी विदेशी  शराब  की हिफाजत में लग गए  कि कहीं ये खबर सुन उनके यहाँ के चूहे भी गटकना शुरू न कर दें ?  
  इस खबर से पियक्क्ड़ इतने दुखी हो गए कि बिना पिये  ही   उनके दिमाग की बत्ती जल गई l बेवड़े धुन के पक्के होते है और  पी पी कर  जिसको कोसना होता है उसे कोसते रहते है ,उन्हें रोकना मुश्किल होता है कहने लगे कि इतने लीटर हमको मिल जाती  तो  वारे न्यारे   हो जाते और कई महीने  यूँ ही पीते पीते  कट जाते ,और वहाँ  की सरकार को कोस रहे थे कि  कैसी सरकार  है  यदि शराब की रखवाली  हम  पीने वाले को ही सौंप देते तो  भी इतनी नहीं पी  पाते l कलाली में यह चर्चा का मुख्य विषय बन गया  , बेवड़े इतने खिन्न थे कि वे चूहों  को पिला  कर  यह जानना चाहते थे कि  चूहा पीता है या  नहीं  और अगर पीता है  तो ,पीने के बाद क्या करता है? बेवड़ो  ने इसके लिए  चूहों को   पिलाकर उन्हें    अंडर  ऑब्जर्वेशन में  रख  कर उनकी   हर गतिविधि  पर नजर  रखने  का प्लान   बनाया  ताकि  इस खबर  की सत्यता की जाँच  की जा सके l चार पांच  बेवड़ो  ने  दो तीन  काले   चूहों पर  प्रयोग किया उन्हें सफलता नहीं मिली शायद वे बुध्दिजीवी  चूहे होंगे l अगले दिन  सफेद चूहों पर  लेकिन  उन्हें भी रास नहीं आयी फिर  एक  जंगली चूहे ने थोड़ी पीकर  ऐसी दौड़ लगाई कि  बेवड़े उसे पकड़  ही नहीं पाए ,एक बेवड़ा बोलने लगा कि  ये तो  नेता निकला , पी कर सरपट भाग गया lबेवड़ा विमर्श  चालू हुआ कि काला  चूहा तो एक भगवान की सवारी है इसलिए पीकर कैसे चलता ? यूँ भी  शराब पीकर  कोई भी वाहन चलाना अपराध की  श्रेणी  में आता है l दूसरा बेवड़ा बोला कि  भैरव जी पर क्या गुजरी होगी ,यह खबर सुनकर l तीसरा बोलता है  अमित दा  की एक पिक्चर में चूहा पी गया  था सारी व्हिस्की इसका  मतलब आरोप सही  होगा  ? चौथा बोलता है कि  सही हो या गलत चूहे कौन से मानहानि का केस  लगाएंगे ?एक बात  से खोपड़ी गर्म होरी है कि  जहां शराब पर  पूर्ण रोक है  वहां आदमी त्रस्त है l घोड़ो को घांस नहीं मिल रही है और चूहे शराब पी  रहे है lलीपा पोती हो जायगी और कौन  पी गया असली बात  दब जायगी l उन्हें मलाल था की वे इस पर किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंचे कि  चूहा  पीने और नहीं पीने के बाद क्या करता  है उसमे  एक खोजी   टाइप बेवड़ा बोला  मेरा मगज  क़े  रिया है  कि   चूहों पर यह झूठा  आरोप है उसे  कुछ सयाने आदमी  ही पी  गए होगें lरक्षक से भक्षक   हो जाने की परम्परा का  जरूर किसी  निर्वाह किया होगा ? खबर तो यह  भी है कि   दो  पुलिस  अधिकारी रंगे  हाथ पकड़े गए लगता है कि   चूहों पर तो केवल शक है  l  कुतरने वाले को  गटकने  वाले बना दिया ये इस  प्रजाति पर घोर अन्याय लगता है दूसरा बेवड़ा अटक अटक कर   कहने  लगा  कि उस प्रदेश में कुछ  भी हो सकता है अब चारों बेवड़े आपस में भिड़ गए और खबर सच या गलत  जानने के लिए कितनी पी  गये पता ही नहीं चला l कलाली वाले ने अस्पताल में भर्ती करा दिया  l सुबह उनकी ही खबर बन गई कि  चूहों के शराब पीने के गम में चार शराबी अस्पताल में भर्ती l जब उनसे पूछा कि  इतनी क्यों पी  तो कहने लगे कि  गम भुलाने के लिए पी, पर चूहों ने क्यों पी  अभी तक समझ नहीं आया ? यह  बात  हजम नहीं हुई और दिमाग का हाजमा  बिगड़ गया सो अलग l 


संजय जोशी " सजग "

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