बुधवार, 30 मार्च 2016

मालवी बोली " की एक कविता ---मूरख और इडियट

"मालवी बोली " की एक कविता  

१ अप्रैल रा दन मूर्ख दिवस है .........

मूरख और  इडियट
मालवो म्हारो
है घणो प्यारो I
डग -डग नीर
पग-पग रोटी I
या वात वइगी
अब खोटी I
यां नी है मुरखां को टोटो I
यां को खांपो भी है
मगज  में मोटो I
थ्री -इडियट  सनिमो आयो
यां का खांपा,
मूरख अणे टेपा के भायो  I
कदी कालिदास जिन्दो वेतो ,
तो ऊ घणो खुस वेतो I
जो मगज से काम नी करे ,
वुज मनक नयो कमाल करे I
अणि ती खंपाओ को
मान जागेगा,
खांपा, मुरख और टेपा
मालवा का नाम रोशन करेगा I
.
संजय जोशी "सजग"

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