सोमवार, 31 मार्च 2014

मालवी दिवस [गुडी पड़वा ]


                                   मालवी दिवस [गुडी पड़वा   ]
    दूसरी भाषा के प्रभाव ने क्षेत्रीय भाषा और बोलियों को गौण सा कर दिया है ,ये भाषा और बोलियाँ हमारी संस्कृति का मुख्य आधार है ,अब धीरे-धीरे लुप्त होने की कगार पर है Iशासन और प्रशासन इनके संवर्धन के लिए सिर्फ औपचारिकता ही निभाते है , मालवा अंचल में बोली जाने वाली सुमधुर बोली .'मालवी "का भी यही हश्र हो रहा है मालवा अंचल में गुडी पढ़वा को मालवी दिवस के रूप में मनाने का पुनीत कार्य -पिछले ३ वर्षो से चल रहा है ,जिससे मालवी को अपनी पहचान बनाने में सफलता मिल रही है जिसमें प्रिंट मिडिया की महत्वपूर्ण भूमिका है l मालवी दिवस को गुडी पढ़वा के दिन मनाने की शुरुआत ,करने पर जन सामान्य के दिलों दिमाग पर यह प्रश्न उठाना स्वाभविक है इस दिन को क्यों चुना गया ? , विक्रम संवत के नये साल का शुभारम्भ इसी दिन गुडी पढ़वा से होता है ,विक्रम संवत की स्थापना मालवा से ही हुई अत: यह दिवस 'मालवी दिवस " के लिए उपयुक्त है इसके लिए प्रेरणा स्त्रोत डॉ शेलेन्द्र कुमार शर्मा उज्जैन है इस अभियान में , झलक सांस्कृतिक न्यास उज्जैन और हल्ला -गुल्ला सहित्य मंच रतलाम का महत्वपूर्ण योगदान है इसे प्रारम्भिक स्तर पर शुरू करने का कार्य इनके माध्यम से ही हुआ है मध्य प्रदेश शासन से भी इस हेतु सकारात्मक पहल कि अपील की है l मालवा के भू-भाग का म.प्र. ही नही पूरे विश्व में गौरवशाली स्थान है ,धार्मिक उदारता सामजिक समभाव ,आर्थिक निश्चितता, कलात्मक समृद्धि संपन्न, विक्रमादित्य भर्तहरी भोज जैसे महानायकों की यह भूमि जहाँ कालिदास, वराहमिहिर जैसे दैदीप्यमान नक्षत्रों ने साधना की एवं कृष्ण भगवान की शिक्षा स्थली मालवा ही तो है विश्व का केंद्र स्थान महाकाल मालवा की पहचान है मालवी का लोक साहित्य समृद्ध है परन्तु उचित संरक्षण प्रचार एवं प्रसार के अभाव में मालवी साहित्य और संस्कृति का लोप होता जा रहा है अतः गुडी पढ़वा को मालवी दिवस के रूप मे मनाने से यह लोक संस्कृति को नव स्पन्दन प्रदान करेगा l वर्त्तमान में मालवी में कई पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है और विक्रम विश्वविद्यालय में कई छात्र और छात्राएं मालवी बोली में शोध कार्य कर रहे है l गत वर्ष मालवी दिवस का आयोजन लगभग ५० स्थानों पर इस बार यह करीब ७५ स्थानों पर और घर -घर मनाया जायेगा सभी मालवी प्रेमियों से निवेदन है कि इस अभियान में आहूति देकर इस मीठी बोली को एक नई पहचान देने का संकल्प लें तभी यह दिवस सार्थक होगा l समस्त मालवा प्रेमियों को मालवी दिवस व गुडी पड़वा की हार्दिक बधाई l . .

 संजय जोशी 'सजग '
 ७८ गुलमोहर कालोनी रतलाम [मप्र]

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें