मंगलवार, 8 अक्तूबर 2013

मिश्रित ...रचनाये

शूलिका ---१३२

==पोल ==

विकिलीक्स खोल रहा पोल
राजनीति हो रही डांवाडोल
देश का बिगड़ रहा माहौल
बेलगाम हो रहे बोल
इससे घटता देश का मान
लोकतंत्र का होता है अपमान
जनता के गुट रहे अरमान
करो ऐसे काम बढ़े देश का सम्मान
नेताओ तोल-मोल के बोलो
आग में घी मत डालो
देश के विकास का द्वार खोलो
गंदी राजनीति कुचल डालो

=== संजय जोशी "सजग "

हर फेस बुक मित्रो की व्यथा ------जब तक आपस में न मिले .......!!!!!

जब तक हर मित्र पर शक करू
तब तक मिलु न मित्रो से रु बरु
फेसबुक जरुर मिटाती शहरो की दुरी
पर अनजान मित्रता लगती रहती अधूरी
जब मिल जाते आपस में मित्र अनजान
मिल जाती फेसबुक मित्रता को नई जान

====== संजय जोशी "सजग "

शूलिका --१३३

कितना हो गया
नेतिक पतन
केसा होगया
हमारा वतन

=== संजय जोशी "सजग "===

गुमराह करते

टी.वी. सीरियल

नेतिकता का

नही रखते ख्याल

टी.आर .पी की रेस

में सब करते हलाल

-------------------------

उदास 
के न
बनो दास
हमेशा
रहो खुश
और बिंदास

संजय जोशी "सजग "


मजबूत रिश्तो की डोर
थामे उसे दोनों छोर
स्वार्थ का न हो काम
अहम का न हो नाम
समझो सबकी भावना
तभी रहेगी सदभावना

=====संजय जोशी "सजग "=====



हर दल करता
करता भ्रष्टाचार
मिटाने का
शिष्टाचार
मिलते ही मोका
भरपूर करता
भ्रष्टाचार ......



संजय जोशी "सजग "


रखो समय का बंधन
होगा समय प्रबन्धन .
जीवन को देता आकार
आती क्षमता शक्ति अपार
==== संजय जोशी 'सजग "

प्रशंसा
=====
प्रथम रूप ---

प्रशंसा होती प्यारी
शक्ति देती न्यारी
सकारत्मक हो सच्ची
लगती है खूब अच्छी .
--------------------------------
द्वितीय रूप ...

प्रशंसा खूब खलती
जब चाटुकारिता चलती
नकारात्मकता हो जारी
समज के लिए बहुँत भारी
-----------------------------

संजय जोशी "सजग "

मेहनत कर
आय- कर
फिर आय
कर भर
मजा लेते
कोई और

संजय जोशी "सजग "

न रुक सकता सट्टा
न रुक सकता लगता बट्टा
न रुक सकता भ्रष्टाचार
न रुक सकता अनाचार
हम कितने हो गए लाचार
कब रुकेगा अत्याचार

संजय जोशी "सजग '

CBSE ...12 th ..me fir chhai .......

बेटियों ने बाजी मारी
हर क्षेत्र में हे भारी
बेटियां होती प्यारी
खुशियाँ लाती ढेर सारी
चाहे नर हो या नारी
अन्धविश्वास हे भारी
कन्या भ्रूण हत्या हे जारी
कब मिटेगी यह महामारी

संजय जोशी " सजग "


आज विश्व तम्बाकू निषेध दिवस ...है ......

सिगरेट का हर कश
और गुटखा खाना
के आदि
ये करते अपने
स्वाथ्य की नित
बर्बादी
परिवार और समाज
और स्वयम के लिए
है भी घातक
छोड़ो यह चाहत

संजय जोशी "सजग "


 शूलिका ---१२६

जब खुलते राज
छिनते उनके राज
वे न आते बाज
न शर्म और लाज
== संजय जोशी "

 शूलिका --१२७

कोई नही
दुध का धुला
किसी ने नही
किया देश का भला
पद मिलते ही
सब को है छला
देश की प्रगति
का सूरज यूही ढला
---- संजय जोशी "सजग '

 




शूलिका १२८

राजनीति
की रणनिति
स्वार्थ की परिणिति
नेताओ की यही गति
क्यों मारी जाती मति

== संजय जोशी "सजग "

शूलिका --१२९
जब होता अभिमान
बड़ा देता वहअज्ञान
रिश्ते हो जाते बेजान
नही मिलता सम्मान
=== संजय जोशी "सजग "



गठबंधन
याने .जुगाड़
कभी भी हो
सकता दोफाड़
है सत्ता की होड़
देश की राजनीति में
आयगा नया मोड़
अब न और भाती
गठबंधन की निति
जनता हो गई बोर
दीखता नही कोई छोर

=== संजय जोशी "सजग "

शूलिका --१३०
============
अहंकार
है विकार
लेता आकर
सब बेकार
=== संजय जोशी "सजग "


 शूलिका -१३१

जाग कर
रुक जाना
ही जागरूकता
का है नमूना
इस लिए देश को
लगता है चुना
वे जिनको
हमने ही चुना
=== संजय जोशी "सजग "


पद पाने की लगी है होड़
स्वयं को श्रेष्ठ दिखाने की होड़
सब लगे करने में जोड़ -तोड़
हर तरफ मच रही है होड़
== संजय जोशी "सजग "


 शूलिका --१३३

प्रकृति का देखो यह खेल
आपदा प्रबंधन भी हुआ फेल
राहत कर्ता में न आपसी मेल
फंसे लोग भीषण कष्ट रहे झेल

==== संजय जोशी "सजग "


वापस न आता गुजरा वक्त
हंसी ख़ुशी से बिताओ वक्त
समय नही किसी का मोहताज
मित्रो पहचानो कीमती है वक्त
== संजय जोशी "सजग "==



 घडियाली आंसू से दिखाते भाव
सब कुछ सच कह देते हाव भाव
झूठी भावना से मन होता आहत
संवेदनाओ के लिए भी नकली भाव

=== संजय जोशी "सजग "===

 दिखाते है गहन शोक
पुरे करते अपना शौक
नही पाते अपने को रोक
लोगो का ये केसा शौक
=== संजय जोशी "सजग " ===


shulika --134

रुपये की साख का घटना
कीमतों का बेलगाम बड़ना
हमेशा मंदी का छाये रहना
विदेशो से कर्ज मागते रहना
एसी अर्थव्यवस्था का क्या कहना
यह सब बेचारी जनता को ही सहना

===संजय जोशी "सजग" ===

मालवी बोली ..एक ..रचना ..एक प्रयास ...

स्कूली शिक्षा ने मजबूत वणाओ
अणि वाते पेला अच्छा स्कुल वणाओ
अच्छा भन्या लिख्या माडसाब लाओ
वणा ने दूसरा काम में मत लगाओ
मध्यान भोजन से भ्रष्टाचार मिटाओ
सरकारी योजना रो सही लाभ दिलाओ
शिक्षा ती राजनीति घणी दूर भगाओ
स्कूल चले हम को सफल बनाओ
==== संजय जोशी "सजग "

शूलिका -१३५

देश में भाई चारा
नही बचा है बेचारा
आम आदमी है हारा
नही कोई है सहारा
संजय जोशी "सजग "

 एक दाग बहुत है हस्ती मिटाने की लिए
एक दीप बहुत है अंधकार मिटाने की लिए
एक मुस्कान बहुत है अपना बनाने के लिए
एक कदम काफी है आगे बढ़ जाने के लिए
==== संजय जोशी "सजग "


सत्य का पराजित न होना
असत्य से पेरशान न होना
आज नही , कल खुलेगा राज
समय उसका नियत जब होना
==== संजय जोशी "सजग "


 शूलिका १३८
++++++++++
कानून तो
कई रखे है सजा
पर मिलती
नही उचित सजा
वो ही ले रहे
देश के धन का मजा
और बिगाड़
रहे देश की फिजा
+++++++++++++
=== संजय जोशी "सजग "===


 छाए काले काले बदरा
घन घन बरसे बदरा
छाई चहूँ ओर हरियाली
छटा निराली तेरी बदरा
++ संजय जोशी "सजग "+++++


शूलिका -१४०

=वोटर की आत्मा =
की आवाज

वोट लिया था जब
किया था सेवा का वादा
अब सेवा करते कम
अहसान दिखाते ज्यादा
हमारी आत्मा अब रही तड़प
झूठ बोलकर वोट लिया हड़प
=== संजय जोशी "सजग "

शिक्षा और भोजन
एक साथ का प्रयोजन
सार्थक यह हुआ नही
दोनों में गुणवत्ता नही
असफल हुआ संयोजन
शिक्षा मिलीं न भोजन

संजय जोशी "सजग "


शूलिका --१४०

प्यार
में धोके
दोनों की
बर्बादी

== संजय जोशी 'सजग "

शूलिका ----

^^^^^^^^^^^^^^^^
रजनीति में बड रही केसी खोट
हर दल एक दुसरे को देते चोट
निम्नतर हो रही सबकी सोच
चलते शब्द मेढक ओर काक्रोच
^^^^^^^^^^^^^^^^^^
---- संजय जोशी "सजग " -----

 शूलिका-
आग वहीं लगती है
जहाँ चिंगारी होती है
आरोप वहीं पनपते है
जहाँ दाल में काला है

-- संजय जोशी 'सजग "




 शूलिका -

देश में स्थापित हैं कई आयोग
उनमे हमेशा हो जाता नया योंग
नित -नये करते वे केवल प्रयोग
आम जन को न मिलता कोई सहयोग
------- संजय जोशी "सजग "--------


धर्म
और अधर्म
की जंग
में
सिसक रहा
कर्म

संजय जोशी 'सजग "


 राम से
मर्यादा
सीखो
बिना उसके
कोई अपना
नाम
राम न रखो



संजय जोशी 'सजग "



 शूलिका ------
-----------------
बंद मुट्ठी
लाख की
खुल जाये तो
खाक की
हवा खाये
हवालात की
नेता हो या संत
ऐसे ही होता अंत
------------------

------- संजय जोशी "सजग "---------





























 






 शूलिका

मौन
और
वाचालता
के अपने अपने
सुख व दुःख

----संजय जोशी 'सजग '

 


 शूलिका

साहस
का होता
जब उपहास
और परिहास
टूटता
विश्वास

--- संजय जोशी 'सजग "---


 शूलिका ---

लोकतंत्र
बनाम
जुगाड़ तंत्र
भीड़ तंत्र
भ्रष्ट तंत्र

---- संजय जोशी "सजग "


 ---------
एक मध्यम वर्गीय अपनी ने व्यथा को इस तरह बयाँ किया -------

अमीर अपने में मस्त है
गरीब अपने में व्यस्त है
जो बीच का है वही पस्त है
और सहने का अभ्यस्त है
---------संजय जोशी "सजग '------


 -----श्राद्ध का यह भाव------
जीवत मात पिता से दंगम दंगा
मरे मात पिता को पहुचावे गंगा
इनके साथ रखो श्रद्धा का सु-भाव
तभी सफल होगा श्राद्ध का यह भाव

----- संजय जोशी "सजग "-------








 आज फिर दिल्ली और मुंबई में रेप की घटनाएँ घट गई है .....

फांसी से
न डरे
वह इंसान
नही
जानवर है ....
कितनी
मानसिकता
विकृत हो गई ...


-------------
कलम
का
कमाल
हलाहल
या
मालामाल

--- संजय जोशी "सजग '


 फ़ुटबाल
हांकी
के खिलाड़ीयो
को सम्मान
और पैसा
दोनों से है अछूते
कब तक अपने बूते
देश के लिए
खेलेगे

-----------------
राजनीति
में
पात्र
ओर कुपात्र
दोनों चलते है

और जन जन 
को   छलते  है  
----------------- 
























 



























 










 










 






































 















 
 































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