रविवार, 13 अप्रैल 2014

सोशल नेटवर्क साईटस प्रदूषण की शिकार

आलेख                       सोशल नेटवर्क साईटस प्रदूषण की शिकार
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 सोशल नेटवर्क साईटस की कल्पना  विराट  सोच का नतीजा है इसका उपयोग ईमानदारी और समझदारी से किया जाये तो सब के लिए बहुत उपयोगी है परन्तु ईमानदारी तो बची ही नहीं ओर समझदारी के क्या कहने जरूरत से ज्यादा हो गई ,जिसके परिणाम स्वरूप ये प्रदूषण का शिकार  हो गई है

           सोशल  नेटवर्क साईटस, सोशल न होकर भड़ास निकालने की  साईट हो गई है और रही सही कसर राजनीति की घुसपैठ ने पूरी कर दी  जहाँ -जहाँ राजनीति में दल-दल है सोशल नेटवर्क  साईटस भी  इसके दुष्परिणाम  से अछूती  नही रही ,इन साईटस  पर घटिया राजनीति का दौर चल रहा है  जिससे आम यूज़र्स अपनी  रचनात्मकता को खो बैठा है और सकारत्मक उपयोग  करने वाले महिला और पुरुष धीरे-धीरे इससे मुँह मोड़  कर  कन्नी काटने लगे है क्योंकि इस विचारों के मंच को प्रदूषित कर दिया है वह दिन दूर नही इसे केवल राजनीति वाले ही उपयोंग करे ,आजकल जन सामान्य का राजनीति के प्रति घृणा के  भाव चलते ये  भी अछूती  नही रहेगी और  ये सोशल न होकर केवल राजनीतिक साईट  न बन जाये पर एक विचारणीय पक्ष यह है की  हमारे देश की अधिकांश जनता गाँवों में निवास करती है और शिक्षा का स्तर भी कम है ऐसे में इन साइट्स पर राजनितिक वार  का  आम जन पर क्या प्रभाव पड़ेगा समझ से परे है सभी  पार्टियों ने अपना  संदेश  फैलाने के लिए कमर कस ली है और इसकी मूलभावना पर कुठाराघात कर रहे है l

फर्जी नाम ,फर्जी आई.डी.फर्जी फोटो के  और कट पेस्ट के  मायाजाल के दौर में शुद्ध
रचनात्मक लेखक व रचना कर अपनी पहचान  खोते जा रहे है इन सब को रोकने की लिए सकारत्मक प्रयासों की गम्भीरता पूवर्क विवेचना जरूरी है l

  अश्लीलता ने संस्कारो को लील लिया है निरंतर सांस्कृतिक मूल्यों का हास हो रहा है
जिसके कारण इनकी लोकप्रियता पर बुरा असर पड़े बिना नही रहेगा इन सब के चलते हमारी जीवनशैली में बदलाव आगये है सामजिक मेल मिलाप में कमी के  कारण आजकल हम  अपने सामजिक सम्बन्ध  की कड़ी भी इनके  माध्यम से जोड़े हुए है आजकल ये टाइम किलिंग मशीन हो गई है  .सोशल नेटवर्क साईटस जहाँ ..एक तरफ लोगों को मिलाने का काम  कर रही है वहीं दूसरी तरफ एक तरह की असभ्यता का विस्तार भी कर रही है l

इस सामाजिकता ,रचनात्मकता और उर्जावान विचारो के मंच को दूषित कर दिया है इसे स्वार्थ व उद्देश्य पूर्ति का साधन न  मानकर  उच्च सामाजिक दायित्व का  निर्वाह करते हुए हम सब मिलकर अपनी नैतिक जिम्मेदारी का परिचय दे और इसे  विश्वनीय बनने  हेतु अपनी आहूति देकर  इन्हें  सिर्फ  सोशल नेटवर्क  साईटस  बनाये रखने में अहम भूमिका निभाए l

                          फैल रहा है इसका  जाल
                           बन न जाये जी का जंजाल



----संजय जोशी 'सजग "

6 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी लिखी रचना मंगलवार 15 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
    http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!

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  2. फर्जी हर जगह हैं । यहाँ भी और वहाँ भी । सुंदर आलेख ।

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