बुधवार, 20 नवंबर 2013

वोटर देवो भव: [व्यंग्य ]

                            
                      
                                       वोटर देवो भव: [व्यंग्य ]

        चुनाव का मौसम आते ही वोटर सभी  दलों और नेताओ के लिए  मुख्य  हो जाता है वोटर लोकतंत्र की महत्वपूर्ण कड़ी है ,देश की सरकार बदलने वाले वोटर की दशा नही
बदलती है फिर भी वोट देकर अपना फर्ज निभाता है जिसको दिया वोट उसने ही किया हम सबको बोट ,यह राजनीति की परम्परा है जनता की सेवा और विकास के नाम पर
वोट मांग कर   बस अपने  कुनबे का विकास और खुद ही मेवा खाते है चुनाव के समय
वोटर  हर दल और हरेक उम्मीदवार को  भगवान  सा नजर आता है याने की वोटर देवो भव:

                  वोटर भी सोचता है की कभी तो पूछ परख होती है,चुनावी समर में हम
जेसे वोटर को मान सम्मान मिलता है झूठा  ही सही ..चार दिन की चादनी फिर अँधेरी रात या वोटर मन ही मन सोचता  है  की अब आया ऊँट पहाड़ के नीचे ......सभी उम्मीदवारों को  लाली पाप देता है ..और सभी को वोट देने का  भरोसा देता है राजनीतिक
दल और नेता वोटर का मूड समझने में माहिर हो गये है ..वोटर सेर तो.नेता सवा सेर हो गये है फिर भी वोटर में भगवान की मूरत देख कर एक वोट की मांग करता है उससे
न जाने कितने झूठे वादे करता है ..हर समस्या का समाधान करने का वादा करता है
वोटर को उम्मीदवार  अंदर से कुछ ओर बाहर से कुछ ओर नजर आता है ...वोटर तो उसका अंजाम जानता है ...वोट करना हर वोटर का मौलिक कर्तव्य है देश और समाज हित
में करना चाहिए ...तभी तो वोटर और शक्ति शाली होगा ....तभी  नेता कहेगा ,,,,है वोटर
 तेरी सूरत भगवान से अलग नही होती ...सिर्फ चुनाव तक ..उसके बाद तो हम सब बता देंगे  की कौन भगवान  है और  कौन नही ..सिर्फ चुनाव जीतने तक ही हम .अपने आप को मनुष्य माने हुऐ है वरना हम भी किसी से कम नही  है I....आजकल राइट टू रिजेक्ट वोटर को और  प्रभावशाली बनाएगा .

                   एक वोटर बोलता है ....झंडे ,प्रवचन .माइक का शोर .फ्लेक्स बेनर ,सभाए  वोटरों देवो भव: को खुश ..करने का  महा आयोजन  सभी दल और सभी उम्मीदवार जोर -शोर से करते है ..तभी  तो वोटर देवता प्रसन्न होते है जितना शोर .जितना दिखावा करेगे उतना वोटर खुश होगा यह राजनीति का फंडा है पर आजकल तो  स्टार प्रचारक भी भीड़ जुटाने में असफल  सिद्ध हो रहे है . पर क्या करे
 और दिखावा कैसे करे , आचार सहिंता .का पालन ...जो करना है .आचार सहिंता को भी पीछे छोड़ देने वाले नेता भी अभी  धरा पर विराजमान है जो कुछ नया रास्ता निकालकर  चतुराई से सबको धता बताने  का दमखम रखते है .पर पब्लिक है सब जानती है ......जैसे  को तैसा करना उसे आता है अच्छो -अच्छो को ठिकाने लगा देते है

       
    मैंने एक सीनियर सिटीजन से कहा की वोटर देवो भव तो आप तो बड़े वाले वोटर हो देवो के भी देव है .आपका क्या विचार ..वे बड़े चिन्तन की मुद्रा में कहने लगे ..आजकल
राजनीति में मानवता ही नही बची दानव  जैसी हो गई  है ..हमे अच्छे इन्सान ही रहने दो
देव बनकर जो हम यह नही देख सकते कम से कम मनुष्य बनकर  सह सकते है पर
सत्याग्रह  के गाने ने हम सब की नींद खोलदी है  की .है इश्वर ,,,इतनी शक्ति मत देना की सहते-सहते जाय .....मतलब सहने की हद भी पार हो चुकी है ..किसे चुने सभी एक ही
  थैली के चट्टे -बट्टे है वोटर देवो भव को सिरे से ख़ारिज कर रहे थे खूब मतदान करो
पर अपना मत -भ्रष्ट ,दागी .....को मत -दान करो क्योकि जो आपके सामने है उसमे से
सर्व श्रेष्ट चयन करो ...I सीनियर सिटीजन का कितने ही छोटे बड़े  चुनाव का कटु अनुभव रहा है ..और उनकी बातो से सहमत होकर वोटर देवो भव: का भ्रम दिमाग से निकल दिया I

  वोटर का एक -एक वोट कीमती होता है ...पर चार दिन   की चांदनी और फिर अँधेरी रात ......यह एसी रात होती है की ...सुबह होने मे पांच साल लगते है ..ऐसे में वोटर देवो भव:
कैसे  कह सकते है I वोटर सबकी सुनता है ..करता अपने मन की ....आजकल मतदान
भी   मशीन  से  होने लगा है मोहर की जगह बटन दबने लगा, हवा चलेगी अफवाहे फैलेंगी  फिर भी वोटर अपने आत्म चिन्तन और आत्म प्रेरणा से ही वोट
करेगा .आखिर उसका हक है अपने हक का सही उपयोग ही असली वोटर की पहचान है


संजय जोशी 'सजग "

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