----- इमोशनल ब्लेक मेल की कला ---------
इमोशनल ब्लेक मेल भी एक कला है इसका कारगर हथियार की तरह उपयोग किया जाने लगा है ,जो इमोशन्स को भुनाने की कला में जितना माहिर होता है वह उतना ही सफल होता है इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है इसमें मुख्य रूप से डॉ ,बाबा और नेता कदम -कदम पर ,इमोशनल ब्लेक मेल के सहारे अपना हित साध लेते है वे कहते है की इसमें हमारा क्या दोष है यदि कोई भावना के प्रवाह में बह जाये उससे हमारा उल्लू सीधा हो जाये तो हर्ज क्या है हम तो अपना फर्ज अदा कर रहे है फिर चाहे किसी के ऊपर कर्ज हो जाये।यह एक खतरनाक खेल बन गया है ऐसे कई विज्ञापन जो इमोशनल ब्लेक मेल कर अपना उत्पाद खरीदने को मजबूर कर देते है क्योंकि हम आसानी से भावुक होते है l
प्रसूति के समय और गम्भीर बीमारी के समय कुछ डॉ जिस तरह मौके की नजाकत को भांप कर इमोशनल ब्लेक मेल करते है कि अच्छे -अच्छे अपने आप को कठोर दिल का समझने वाले भी पिघल जाते है और इमोशनल ब्लेक मेल की कला से सम्मोहित से हो जाते है और डॉ को कहते है की जैसा आपको उचित लगे वह करिये खर्चे की चिंता न करे डॉ सा का काम आसान हो गया और नोट छापने का काम चालू हो गया यह इमोशनल ब्लेक मेल की कला का ही कमाल है l
इमोशनल ब्लेक मेल भी एक कला है इसका कारगर हथियार की तरह उपयोग किया जाने लगा है ,जो इमोशन्स को भुनाने की कला में जितना माहिर होता है वह उतना ही सफल होता है इसे अपने जीवन का हिस्सा बना लिया है इसमें मुख्य रूप से डॉ ,बाबा और नेता कदम -कदम पर ,इमोशनल ब्लेक मेल के सहारे अपना हित साध लेते है वे कहते है की इसमें हमारा क्या दोष है यदि कोई भावना के प्रवाह में बह जाये उससे हमारा उल्लू सीधा हो जाये तो हर्ज क्या है हम तो अपना फर्ज अदा कर रहे है फिर चाहे किसी के ऊपर कर्ज हो जाये।यह एक खतरनाक खेल बन गया है ऐसे कई विज्ञापन जो इमोशनल ब्लेक मेल कर अपना उत्पाद खरीदने को मजबूर कर देते है क्योंकि हम आसानी से भावुक होते है l
प्रसूति के समय और गम्भीर बीमारी के समय कुछ डॉ जिस तरह मौके की नजाकत को भांप कर इमोशनल ब्लेक मेल करते है कि अच्छे -अच्छे अपने आप को कठोर दिल का समझने वाले भी पिघल जाते है और इमोशनल ब्लेक मेल की कला से सम्मोहित से हो जाते है और डॉ को कहते है की जैसा आपको उचित लगे वह करिये खर्चे की चिंता न करे डॉ सा का काम आसान हो गया और नोट छापने का काम चालू हो गया यह इमोशनल ब्लेक मेल की कला का ही कमाल है l
तथा कथित संत बाबा भी इस कला के माध्यम से लाखों करोड़ो आसानी से ऐंठ लेते है यह सब इमोशनल ब्लेक मेल में इतने माहिर होते है कंजूस को भी भावना से भड़का कर उसे भी मजबूर कर देते है जैसे सूखे हुए नीबू से रस कैसे निकलेगा इन्हे महारथ हासिल है l
चुनाव में इमोशनल ब्लेक मेल का कार्ड खेलकर वोट हथियाने की हर नेता और हर दल पुरजोर कोशिश करता है ,जो जितना इसमें निपुण होता है वह उतना ही
सफल होता है ,जीवन में पग -पग पर जो इसकी नौटंकी कर सके वही इस भावनात्मक
महासागर में तैर सकता है l
किसी सरकारी /निजी संस्थान में छुट्टी की इतनी मारामारी रहती है कि कुछ को तो हर बात पर छुट्टी चाहिए क्योकि यह उनकी आदत में शुमार है वे किसी की मौत या बीमारी बताकर इमोशनल ब्लेक मेल का सहारा लेकर ,मरे हुऐ को कई बार मार देते है जो इस धरा पर आया ही नहीं उसका भी उपयोग कर लेते है हर मनुष्य भावना से ओतप्रोत रहता है जिसका फायदा उठानेवालों की कमी नहीं है l
इमोशनल ब्लेक मेल ने जहां मनुष्य को असवेंदनशील बनाने में महत्व
इमोशनल ब्लेक मेल ने जहां मनुष्य को असवेंदनशील बनाने में महत्व
पूर्ण भूमिका है l समय -समय पर इमोशनल ब्लेक मेल का फायदा हर कोई उठाने को आतुर रहता है चाहे राजा हो या रंक ,गरीब हो या अमीर ,संत्री हो या मंत्री ,छात्र हो या शिक्षक ,मरीज हो या डाक्टर ,महिला हो या पुरुष। हर मनुष्य की यह स्वाभाविक प्रवृति है कोई इससे अछूता नही हैl इसका तड़का न हो तो समाज में नीरसता का भाव पनपने
लगता है हम इसके आदि जो हो गए हैं l
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें