होली हुई हाई टेक
जब से नेट ने अपने पाँव पसारना चालू किये तब से सोश्यल मीडिया ने हम सबको जकड़ कर अपने मोहपाश में बाँध लिया है त्यौहारों का मजा आजकल यहीं आने लगा है शुभकामनाओं और बधाई की बाढ़ सी आने लगती है बेचारे पंडितो की तो शामत आ गयी है अब उनको कोई नहीं पूछता है की कौनसा त्यौहार कब आयेगा ?नेट पर हर त्यौहार को इतने धूमधाम से मनाया जाता है कि उसकी ख्याति अंतरराष्ट्रीय हो जाती है lनेट की आभासी दुनिया में सब आभास करते नहीं थकते है ,फोटो वीडियो के माध्यम से ही होली तक खेल ली जाती है और अपनी आत्मा को संतुष्टि देकर आभासी होली मना ही लेते है l
एक मित्र व्यास जो कि रंगीन मिजाज के है और होली आने पर उनकी मस्ती और धूम बढ़ जाती थी उन्हें होली खेलने और खिलाने का बहुत शौक है होली के रंग में इतने रंग जाते थे कि रंग के साथ भांग और मिठाई की पुरजोर तैयारी करते थे , वे एक दिन दुखी होकर कहने लगे नेट ने होली को हाई टेक कर लिया और चायना ने इसे हाई जेक कर लिया है कहां गए हमारे प्राकृतिक रंग ,गोपियों वाली पिचकारी l अब शरीर को ख़राब करने वाले रंग और हथियारनुमा पिचकरियों से लगता है जैसे होली खेलने नहीं युद्ध लड़ने जा रहे है l मेड इन चायना को अपनाकर मेक इन इंडिया की कसम खाने वालों की कोई कमी नहीं है l मैंने उन्हें कहा समय -समय की बात है जब होली दिल से खेली जाती थी उत्साह और उमंग की बहार होती थी ,होली के आगमन की प्रतीक्षा रहती थी वे मेरी बात काट कर कहने लगे की सब नेट ने ही चौपट किया है हमारी संस्कृति और मूल्यों को
इस तरह उलझा कर रख दिया कि सब कुछ भूलकर अपने व्यवहार और त्यौहार सोश्यल मीडिया
पर ही निभाने लगे है नकली फोटो और नकली मुस्कान के सहारे सब कुछ चल रहा है पिचकारी की जगह लाइक और लट्ठ मार होली याने की टैग पर टैग कर मनाने लगे है l मैंने कहा गीता को ध्यान में रख कर सोचो जो हो रहा है अच्छा है और जो होगा और अच्छा होगा ,क्यों व्यर्थ चिंता करते हो ?
हमारी चर्चा चल ही रही थी कि एक मित्र शर्मा जी आ टपके कहने लगे की व्यास जी इस बार क्या आयोजन है? तो वे तुनककर बोले सब आयोजन तो फेसबुक और वाट्सएप पर होगा आप वहीं अपने इष्ट मित्रों के साथ सादर आमंत्रित है l तैयारी कर लीजिये नेट पैक और ब्राड बैंड चेक कर लीजये कहीं धोखा नही दे जाये नहीं तो होली का मजा किरकिरा हो जायेगा और आभासी दुनिया के आपके सामजिक मित्र की कारगुजारियों से वचिंत रह जाओगे l व्यास जी की बात सुनकर शर्मा जी टेंशन में आ गये कि रंगीले व्यासजी को आभासी दुनिया में कौन रंग गया कि इनकी मानसकिता में क्रा न्तिकारी परिवर्तन हो गया l मैंने कहा ये आजकल हाईटेक हो गए है इसलिए नेट पर ही होली मनायेंगे l शर्मा जी संपट भूल गए कहने लगे कि भांग,मिठाई , पानी का टैंकर और ढोल की व्यवस्था कौन करेगा मतलब गयी भैंस पानी में और होली भी अब नेट की हो ली l
शर्मा जी कहने लगे कोई कुछ भी करे हम तो होली देशी अंदाज में रंग के साथ भांग के साथ ही मनायेंगे लालू जी ठेठ तरीके से अब व्यास जी भी ख़ुशी के मारे झूम उठे और कहने लगे वर्मा जी से भी बात कर लेना अपनी तरंग में आकर बोले जहां मिले चार यार कैसे न बने जोरदार होली का त्यौहार l लाल,गुलाबी,पीले और हरे रंग दिल नहीं बहला पाते जितना उससे अधिक दोस्तों की अदाओं के रंग अधरों पर मुस्कान बिखेर जाते हैं और असली आभासी दुनिया दिखने लगती है पर इस तरह मनाये जब
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