कवि सम्मेलन के आयोजक की व्यथा [व्यंग्य ]
आज के समय में कवि सम्मेलन का आयोजन एक चुनौती सा लगने लगा है और ये हर किसी के बस की बात भी नहीं पर बांकेलाल जी एक संस्था के सक्रिय सदस्य है और उनका रुतबा भी है अत; उन्हें एक कवि सम्मेलन के आयोजन समिति का प्रमुख बनाया गया और उन्हें जल्दी से जल्दी एक कवि सम्मेलन करवाना था l इसके लिए उन्हें क्या क्या पापड़ बेलने पड़े उनकी व्यथा और कथा उन्होंने कुछ यूँ बया की ----
बांकेलाल जी ने इस हेतु विचार विमर्श के लिये एक बैठक बुलाकर सदस्यों की राय जानी और तारीख मुकर्रर की, उसके बाद कौन -कौन से कवि और कवयित्री को बुलाया जाये , राय जानकर उनकी मांग और पूर्ति में सा
मंजस्य बैठाने के लिए एक सूत्र धार की खोज करनी पड़ी ये सूत्रधार भी अलग टाइप के मानव होते है ये आयोजक की हर बात को सिरे से ख़ारिज करने की कला में महारथी होता है सूत्रधार ने अपनी हेकड़ी बताने के लिए अपनी गैंग के कई सदस्यों को फोन लगा कर स्पीकर ऑन करके सुनाये -पहले कवि ने पूछा टीम में कौन -कौन है,कवयित्री कौन है, सूत्रधार जी बोले टीम से आपको क्या ?तो वे महाशय टीम और कवयित्री के नाम पर अड़ गए सूत्रधार जी महाखङूस थे उनको कह दिया कि टीम और कवयित्री तय हो जाने के बाद बात करते है ,दूसरे कवि को फोन लगाया तो वह कहने लगे कि तारीख बताइये और लिफाफा कितने का , जब उनको बताया तो वे एक दम पलटी मारते हुए कहने लगे कि डायरी में देख कर बताता हूँ वैसे तो मई के पूरे महीने ही बुक हूँ फिर भी देखता हूँ सूत्रधार जी कहने लगे भले ही घर पर रहेंगे नखरे ऐसे करेंगे कि इनके बिना कवि सम्मेलन ही नहीं हो पायेगा l तीसरे कवि को फोन लगाया तो कहने लगा कि एक प्रोग्राम में हूँ बाद में फोन लगाता हूँ --और वह नहीं लगाता है अब सूत्रधार जी कहने लगे ऐसे भाव खाते है और यूँ आये दिन गरज करते है कि कभी हमें भी बुला लिया करो l ऐसे कई कवि को फोन लगाये सबकी अपनी समस्या है कोई हॉल तो कोई चौराहे के कवि सम्मेलन में नहीं जाता है एक बोला जल्दी फ्री कर देना दूसरी जगह जाना है lहरेक कवि का नखरे का अपना अलग -अलग अंदाज , इनके नखरे इतने की आयोजक भी परेशान हो जाते है l
जब कवियों से बात करो कि सिर्फ कवितायें होंगी अश्लील और द्विअर्थी संवादों ,और कवयित्री से उलुल जुलूल हरकत नहीं चलेगी तो इस बात पर कुछ की बोलती ही बंद हो जाती है क्योंकि अधिकतर तथाकथित कवि चुटकलेबाज तो है वे कहते है कि जनता यहीं सब कुछ चाहती है बांकेलालजी कहने लगे हमारे क्लब के सदस्य और आमंत्रित श्रोता घटिया स्तर नहीं चाहते इसका ध्यान भी रखना आवश्यक है l
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