बुधवार, 4 सितंबर 2013

 05/09 /13   शिक्षक दिवस .......हेतु .......



                           फिर  आया शिक्षक दिवस ........


  शिक्षक बिना  शिक्षा की कल्पना अधूरी  है फिर  भी न जाने क्यों देश के कर्ण
धारो के कान पर जूँ नही रेंगती  ,शिक्षक को शिक्षा के अलावा  देश के  हर
अभियान में मुख्य भूमिका निभाना मजबूरी है, कहते है ..शिक्षक  राष्ट्र
निर्माता है पर नई पीढ़ी  को  केवल भोजन निर्माता ही लगते है ,जन गणना से पशु
गणना पंचायत चुनाव से लेकर लोकसभा के चुनाव का बोझ बेचारा  शिक्षक ही तो  ढोता
है अभी कुछ दिन पूर्व ही आर्थिक सर्वे , स्कूल चलो अभियान ...........न जाने
..क्या क्या ...उसे ही करना है  राष्ट्र निर्माता जो ठहराI

            शिक्षा के राजनीतिकरण ने शिक्षक की भूमिका को गौण  कर दिया , उसे
पढ़ाईसे ज्यादा  मध्यान्ह  भोजन के लिए  मशक्कत करनी पड़ती. है सारी की सारी उर्जा
अन्य कामों  में  ही नष्ट हो जाती है .....पढ़ाई ....के लिए .तन और मन कैसे
लगाये I
                       शिक्षा के गिरते स्तर के लिए वर्तमान राजनीतिकवातावरण और
कण-कण में व्याप्त महामारी भ्रष्टाचार की अहम भूमिका  है ,सरकारी स्कूलों से
मोहभंग ,हो रहा है तभी तो सरकार को स्कूल चले अभियान पर खर्च करना पड़रहा है
.सरकारी स्कूल में छात्रों की संख्या का कम  होना और .निजी स्कूलों में भीड़ का
बढना   सरकारी स्कूल के अस्तित्व के लिए घातक है ..कभी ऐसा न  हो कि  सरकारी स्कूल
पुरातत्व की धरोहर  बन  जाए ..और आने वाली पीढ़ी  को बताये की ऐसे  होते थे
सरकारी स्कूल . कहीं एसा न होकी  भविष्य में सरकारी स्कूल भी  रोडवेज की  तरह
समाप्त हो जायेसरकारी स्कूलों   की दशा और दिशा दोनों में बदलाव जरूरी है I


          देश के कर्ण धरो को स्वहित से ही समय नही तो देश की शिक्षा व्यवस्था
से क्या लेना देना ,वे जानते  है क्योकि जितने कम पड़े लिखे लोग होगे .उन पर
आसानी से शासन किया जासकता है I

              शासन के नित नये प्रयोगों के बावजूद भी ठोस परिणाम नही मिलता
केवलकागजी योजना और ढोल पीटने का काम किया जाता है .....परिणाम  शून्य ...और ढाक
के  वही  तीन पात.........I

          शिक्षक दिवस हर वर्ष मनाया जाता है .शासन और कई सस्थाओ द्वरा सम्मान
की  बाढ़ सी आजाती है ..और समस्त  औपचारिकता पूर्ण की जाती है , जेसे हम इनके
प्रति गंभीर ओर संवेदनशील ..है . शिक्षक और शिक्षा की हालत का असली मूल्याकंन
कौन करेगा .यह यक्ष प्रश्न आनेवाले शिक्षक  दिवस के इंतजार में .......आंसू
बहांता रहता है .....और  बहाता रहेगा .अंग्रेज..मेकाले के बोये बीज  फल फूल
रहे है .और संस्कार विहीन शिक्षा ,क्योकि ....आने वाली पीढ़ी.से ....किसको .
लेना देना ......Iदेश का बन्टाधार हो रहा  है .शिक्षक के लिए केवल ..शिक्षा
देना  का काम  ही सर्वोपरी  न  होकरअन्य सोपे गये कार्यो में निपुणता ही
आज उसे असली शिक्षक  बनाती है और छात्रो  को तोता  रटंत ......Iबार -बार यह दिन आये
 ,हम सब इसके महत्व को जान सके , रोज ही क्यों  न मनाये शिक्षक दवस ..सार्थक हो
 यह दिन हर देश वासियों  के ..की यही हो ..कामना
...


संजय जोशी "सजग "

3 टिप्‍पणियां:

  1. vicharniy alekh ... vartman bhartiya sandrbh me sikha ke girte star ko or uske karan ko byaan karti huyi apki ye rachna bahut hi pasand ayi .. sach me is vishay par sochne ki awasykta hai .. subhkamnaye :)

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  2. sunita agarwal...ji aapko achhi lgi ...aur aapne mera utsah bdhaya bhaut -bhaut ..dhanyvad ......aapka

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  3. सुनीता जी ..आपको अच्छा लगा और आपने मेरा उत्साह बढ़ाया.....आपका दिल से आभारी हु

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