शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

हिन्दी का अंग्रेजीकरण



हिन्दी का अंग्रेजीकरण

    वर्तमान में हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी उसके अंग्रेजीकरण से अपने मूल स्वरूप को खोती जा रही है हिंदी में कई ऐसे शब्द है जो अंग्रेजी से सरल और सहज है फिर भी अंग्रेजी मानसिकता के कारण हिंदी के साथ मिश्रित कर बोलने व लिखने  का दौर चल रहा है अंग्रेजी आजकल आधुनिकता का पर्याय बन गयी है
हिंदी पर अंग्रेजी के अतिक्रमण के कारण कई हिंदी शब्द लुप्त हो रहे या लुप्त होने की कगार पर है समय रहते हमने हमारी राष्ट्र  भाषा हिंदी  को सहेजने के और प्रयास
नहीं किये तो भाषा की अस्मिता को खतरा उत्पन्न हो जायेगा

सूचना प्रोद्योगिकी के दोर में कई राष्ट्रों की राष्ट्र  भाषा संकट के दोर से गुजर रही है लेकिन जिस तरह से अंग्रेजी हमारी भाषाओँ पर हावी होती जारही है या हावी किया जा रहा है यह सिर्फ चौकाने का  ही नहीं चिंता का विषय है अंग्रेजी का आक्रमण हमारी  की प्रकृति भाषाओँ और प्रवृति दोनों पर पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है वेश्वीकरण और कम्प्यूटरकरण की दुहाई देकर हमारी भाषाओँ पर  अंग्रेजी थोपी जारही है ,लेकिन सच्चाई  यह भी है की कहीं न कहीं यह अहसास भी कराया जा रहा है की अंग्रेजी आधुनिकता  का प्रतीक है ओर अंग्रेजी उच्चता का प्रमाण पत्र है

अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा नई पीढ़ी को राष्ट्र  भाषा से दूर कर दिया , अपनी समझ और अभिव्यक्ति जितनी आसानी से अपनी मातृभाषा में होती है वह अन्य भाषा में नही ,कई राष्ट्र है जो अपनी राष्ट्र भाषा का पूर्ण सम्मान करते  तथा उसका अधिकतम उपयोग कर उसे अन्य भाषा से सर्वोपरी मानते है हमारे देश की दुखद: स्थिति है हिंदी को अंग्रेजी की तुलना में कम आँका जाता है और हिंदी के उपयोग करने वालो को निम्न कोटि का समझा जाता है

 राष्ट्र भाषा हिंदी पर  अंग्रेजी के प्रहार  के साथ साथ क्षेत्रीय बोली , जातियता  व राजनैतिक आघातो को निरंतर सहना उसके पतन का  कारण है

हिंदी  इतनी सम्रद्ध भाषा होने के बावजूद  हमारी  सर्वोच्च संस्थाओ का पूर्ण मनोयोग
से इसके प्रति गंभीर न होना दुःख का कारण है

भाषा संस्कृति का वाहक होती है ,अपनी राष्ट्र भाषा के प्रति उपेक्षा पूर्ण दृष्टीकोण के बारे में समग्र चिन्तन की आवश्यकता है नही तो भाषा अपनी मान्यता के साथ प्राणवत्ता भी  खो देती है

   हिंदी दिवस वर्ष में एक बार मनाकर हम राष्ट्र भाषा के प्रति अपनी  श्रद्धा का प्रचार
प्रसार तो कर देते है पर इसकी  दुर्दशा से  टीस तो होती है हर राष्ट्र भक्त के मन में
 टीस को टीस न रहने और कुछ कर दिखाने का संकल्प ले .
         

संजय जोशी सजग

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