रविवार, 22 सितंबर 2013

करसाण रो दुःख [मेरी मालवी कविता ]

करसाण रो दुःख [मेरी मालवी कविता ]


धरती माता रोवे
धरती पुत्र भूखो सोवे
ऊ करजा में जन्मे है
ने कर्जा मेंज मरे है

लेण रांदे है घणी
कस्तर दे खेत में पाणी
टेम पे मिले नि बिज
टेम पे मिले नि खाद
फसला वई जाये बरबाद

जदे मोसम की मार पड़े रे
करसाण कई करे
फसल अई जावे तो
हाउ भाव नि मले रे

सरकार असो कारज करे .
अन्नदाता कदी बेमोत नि मरे

------ संजय जोशी "सजग "


*करसाण...किसान

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