गुरुवार, 29 अगस्त 2013

व्यंग्य

                            
               व्यंग्य
                                      मोर्निंग वाक और मोबाईल 

 जब से  चलित दूरभाष [मोबाईल ] की क्रांति हुई है  तब से मोबाईल लेकर घूमने की  परम्परा अपने आप शुरू  हो     गई चलते हुए बात करना फैशन सा होगया और ऐसा  करने वाला अपने आप को आधुनिक  समझता हैसुबह और शाम  के भ्रमण  क बात ही कुछ और है पैदल घूमना स्वास्थ्य  के लिए बहुत लाभकारी है  डॉक्टर कहता है खूब घूमो  परन्तु बेचारा मोबाईल लेकर घूमता है जो  आजकल  सबका प्रिय सब   उसके  इतने  बड़े  दास हो गये  की उसके बिना पल पर भी नह रह सकते .....में भी जाता हूँ   मेरे साथ होता है मेरा भी परम प्रिय  ....उसके बिना जीवन अधूरा सा लगता है प्रात:भ्रमण में सीनियर सिटीजन घूमने  की पूरी आचार संहिता का पालन करते है ....वो  इसे आपने साथ नही रखते वे इसे  बीमारी  की जड़ कहते है .मुझे ..ऐसे ही सीनियर  सिटीजन .....शर्मा जी .....मिले .मैंने  उनसे पूछा कि  परम श्रद्धेय .शर्मा जी आप  मोबाईल ....साथ  नही रखते क्या ? वे सुनते ही आग बबूला  हो गये मैंने कहा मुझसे क्या गलती हो गई आप खामख्वाह नाराज हो गये उसके  बाद उन्होंने   प्रात भ्रमण  करने वालो के बारे  में कुछ इस तरह बंया किया कि हम तो  पुरे वर्ष  ...ही  प्रतिदिन  घूमते  है ...हमारी सेहत का यही राज है हम जैसे लोग बिरले  ही होते है वरना आजकल तो लोग  दिखावा ज्यदा करते है लगता है घूमने नहीं मोबाईल पर बात करने ही  निकले है हमारा तो केवल एक सूत्रीय कार्यक्रम है ..परन्तु दो और तीन सूत्रीय वाले भी मिलेंगे  ,.द्विसुत्रीय का  घूमने पर कम मोबाईल पर ज्यादा   ध्यान  होता है  किसी  को  टक्कर क्योकि  मारकर   गिरा दे वह  तो मोबाईल में  मशगूल  है और तीन  सूत्रीय  वाले का तो भगवान ही मालिक है एक हाथ में कुत्ता  और दूसरे  हाथ में मोबाईल इनकी स्थिति विचित्र होती है .दूसरो  को  अपना  ध्यान रखना पड़ता है कुत्ता  कहीं काट  न  खाए  पता ही नही खुद घूमने  निकला है, कुत्ते को घुमाने या मोबाईल पर बात करने .शर्माजी जी की  व्यथा  और कथा  निरंतर जारी  थी लग रहा  था कि बरस की  भड़ास निकाल  रहे थे .बारिश और ठण्ड में तो कोई नही आता गर्मी आते ही  घूमने  वालो की बाढ़  सी  आजाती  है बैचारे ट्रेक  सूट और स्पोर्टस  शू  की किस्मत के वे वारे न्यारे   हो जाते है ..जो  साल भर  में  तीन या चार महीने  ही हवा खा पाते  है ...फिर कैद कर  दिए जाते है वो भी अपनी किस्मत को कोसते है हमसे अच्छी ..तो ..मोबाईल की किस्मत है.जिसे  .सब अपनी  जान से भी ज्यादा  चाहते है .......I

                

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