सोमवार, 22 अक्तूबर 2018

बॉस इज आलवेज राइट [व्यंग्य ]

बॉस इज आलवेज  राइट [व्यंग्य ]
          जहां जहां बॉस है वहां पर टेंशन का डेरा है l बॉस के  नीचे   वाले उदास है और मन के  दास बनकर झूठी मुस्कान फेककर बॉस को मोहित करने का असफल प्रयास करते है  l  यस बॉस  तो करना  ही है   l जिसने  न  किया उसके हाल हमारे जैसे हो जाते है यह व्यथा एक ईमानदार कर्तव्यनिष्ठ  पदम जी की है l वे बेचारे काम के बोझ से दबे है, क्योंकि   बॉस से उनकी फ्रीक्वेंसी मैच  नहीं होती  है उसके बदले में उन्हें  जो काम कोई नहीं करता या बोरिंग  काम उन्हें सौंपा  जाता है   , जो कम से कम समय  में पूरा  करना होता है l क्योंकि  बॉस की गुड लिस्ट में वो नहीं है l वे  ऑफिस  का तनाव  लेकर घर जाते है  ,और घर वालो पर निकालते है और फिर घर वालों का तनाव ऑफिस में l या यूँ  कहे कि न घर के और न घाट के ,वे मारे है अपने बॉस के l  

          बॉस हर जगह पाया जाता है आफिस में बॉस ,अखाड़े में उस्ताद ,घर का बॉस बीबी ,नेतागिरी में भी आजकल बॉस ही चलता है,गैंग के मुखिया को बॉस कहते है l  सब जगह बॉस नाम का  इतना खौफ  है की  नीद में भी बॉस की याद आ जाये तो रात कई रातों  के बराबर  लगने लगती है l 

                हम मित्रों ने  कई बार पदम जी को   समझाया कि  आप भी  इसे अपने अंतर्मन में उतार लें , यह एक प्रसिद्ध उक्ति है कि    "बॉस इज आलवेज राइट "  l इसका  रहस्य जो जान गया है ,वह  सुकून में है उसकी चारो ऊँगली घी  में और  सर कढ़ाही  में है l यह वह  ब्रह्म ज्ञान है ,जिसकी  पूंछ पकड़ कर अपना उल्लू सीधा करना बहुत आसान हो जाता है l हर युग में  "बॉस इज आलवेज राइट " ही रहा जिसने गलत कहा वह ,अपमान और शोषण का पर्याय बन गया  l   वे कहने  लगे  कि  बॉस इज आलवेज  राइट मानना हर किसी की फितरत में नहीं होता है , और यदि मान भी लिया जाय तो  आत्मा कचोटती है l यही तो समस्या है हमारे देश की  बॉस  के ऊपर बॉस ,सब अपने बॉस से दुखी ,क्यों ?यह एक जटिल प्रश्न है ?बॉस भी कभी हम जैसा था पर सब भूल जाता है ऐसा क्यों होता है ? बॉस बनते ही वह अपने आप को  महाज्ञानी ,  लकीर  का फकीर   हो जाता है l हर बॉस की यही कहानी l  बॉस की परफार्मेंस को  हम  जैसा सबार्डिनेट ही अच्छा करवाता है l 
                    वे आगे कहने लगे कि आप लोगों   की बात  "बॉस इज आलवेज राइट "  को आत्मसात  कर  भी लूँ पर  वो नहीं कर सकता  बॉस अंदर से चाहता है -  सभी  गाये  बॉस चालीसा ,आस करें हमसे  सब गलत नहीं साखी गौरीसा l,बॉस इज आलवेज़ राइट ये ही रूल हर दम जतलाये ,काम की फिकर  का जिकर दिखलाये ,सुनकर गाली मन ही  मन मुस्काय  चमचे की तरह ,करे  न काम फिर भी  व्यस्तता दिखाये ,हर मीटिंग में बस  चाय और नाश्ते का रखे  ध्यान ,यस सर करके बात करें   जो बॉस हंसे तो हँसे  ,  हमसे ये सब नहीं हो पाता है इसलिए बॉस हम पर कुढ़ता है और  "बॉस इज आलवेज राइट " कहने वाला हम पर हसंता है और हम मुँह छुपा कर रोता  है l 

 उनकी हौसला अफजाई कर   कहा उन्हें बॉस की हर बात गलत नहीं मानना चाहिए  क्योकि बॉस भी एक इंसान है उसकी भी कुछ मजबूरिया होगी जो उसे इस स्तर पर ला देती है l वह  भी उसके बॉस से इतना ही दुखी होगा जितना आप अपने बॉस से  l 


संजय जोशी 'सजग '

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें