हाथ की धुलाई [व्यंग्य ]
मैंने कहा आप खामख्वाह क्यों अपनी आत्मा को कष्ट देते रहते है,ऐसा करने वालों को तो जरा भी आत्म ग्लानि नहीं है और वे तो गंदगी से अपने हाथ धोते रहेंगे, और अपने आप को हाथ की सफाई का सरताज मानते रहेंगे जब तक बुद्धिजीवी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे l जैसे सावन के अंधे को हरा -हरा ही नजर आता है ,सफाई के अंधों को सब साफ ही नजर आता है l
हम लोग साल में एक बार हाथ धुलाई अभियान मनाकर बच्चों के संस्कारवान बनाने का भरसक प्रयास करते रहेगें और हम मन के सच्चे बच्चों के हाथ धुलवाते रहेगें ,किसी भी अभियान की जान और शान होते है बच्चें और रस्म भी ईमानदारी से निभाते है l लेकिन यह यक्ष प्रश्न हमारे सबके सामने हमेशा खड़ा रहेगा कि जिनके हाथ गंदे कारनामों से गंदे है उनके हाथ धुलने का एक अभियान कब चलेगा ?
मुझसे मेरे पड़ोसी कहने लगे कि विश्व हाथ धुलाई दिवस मनाया गया और हाथ की सफाई का महत्व समझाया गया l ,इस अभियान के बहाने हाथ साफ़ करने के लिए कौन सी कम्पनी का हैंडवॉश अच्छा है इसका प्रचार कंपनियों द्वारा किया गया और कौनसा हाथ में छिपे अदृश्य कीटाणु धो डालने के लिए उपयुक्त है ,कीटाणुओं का खौफ बताकर और इमोशनल ब्लेक मेल कर हैंड वाश बनाने वाली कंपनियों ने बहती गंगा में हाथ धोने की लोकोक्ति को चरितार्थ कर अपने -अपने हैंड वाश से हाथ धोने के महत्व को प्रतिपादित किया l बच्चों ने जोश और खरोश से हाथ धोये और सोचा कि अच्छे से हाथ धो लिए जाए फिर अगले ही साल मौका आएगा ,अभियान में फोकट के हैंडवाश से हाथों को धोने का मजा कुछ ही और है ऐसा उनके हाव -भाव देख कर माना जा सकता था , सरकारी स्कूलों में कई की हालत तो ऐसी है पानी ही नसीब नहीं है हाथ धोना तो दूर की बात है l टीवी पर न्यूज़ देख कर तो ऐसा लग रहा था कि , जैसे बेचारे बच्चे हाथ धोना ही नहीं जानते है पड़ोसी हसंते हुए कहने लगे कि बहती गंगा में हाथ धोना और हाथ साफ़ करने में ज्यादा ही माहिर है वर्तमान पीढ़ी l
वे कहने लगे कि जिनके हाथ गंदे कारनामों से सने पड़े है क्या उनके लिए भी कोई अभियान चलाया जायेगा ,उनके हाथ और मन का मैल कब धुलेगा ,ऐसे ही लोगों ने बहती गंगा में हाथ धोकर गंगा के साथ ही राजनीतिक ,समाज और संस्कृति को इस कदर गंदा कर रखा है कि कोई भी वाशिंग पावडर काम नहीं आ रहा है और उलटे केमिकल युक्त होने के कारण प्रदूषण बढ़ाने में सहायक हो रहा है l और ये ही हैं कि हर क्षेत्र में हाथ की सफाई से हाथ साफ़ कर जाते है हम हाथ मलते ही रह जाते है lमैंने कहा आप खामख्वाह क्यों अपनी आत्मा को कष्ट देते रहते है,ऐसा करने वालों को तो जरा भी आत्म ग्लानि नहीं है और वे तो गंदगी से अपने हाथ धोते रहेंगे, और अपने आप को हाथ की सफाई का सरताज मानते रहेंगे जब तक बुद्धिजीवी हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे l जैसे सावन के अंधे को हरा -हरा ही नजर आता है ,सफाई के अंधों को सब साफ ही नजर आता है l
हम लोग साल में एक बार हाथ धुलाई अभियान मनाकर बच्चों के संस्कारवान बनाने का भरसक प्रयास करते रहेगें और हम मन के सच्चे बच्चों के हाथ धुलवाते रहेगें ,किसी भी अभियान की जान और शान होते है बच्चें और रस्म भी ईमानदारी से निभाते है l लेकिन यह यक्ष प्रश्न हमारे सबके सामने हमेशा खड़ा रहेगा कि जिनके हाथ गंदे कारनामों से गंदे है उनके हाथ धुलने का एक अभियान कब चलेगा ?
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