"मालवी बोली " की एक कविता
१ अप्रैल रा दन मूर्ख दिवस है .........
मूरख और इडियट
१ अप्रैल रा दन मूर्ख दिवस है .........
मूरख और इडियट
मालवो म्हारो
है घणो प्यारो I
डग -डग नीर
पग-पग रोटी I
या वात वइगी
अब खोटी I
यां नी है मुरखां को टोटो I
यां को खांपो भी है
मगज में मोटो I
थ्री -इडियट सनिमो आयो
यां का खांपा,
मूरख अणे टेपा के भायो I
कदी कालिदास जिन्दो वेतो ,
तो ऊ घणो खुस वेतो I
जो मगज से काम नी करे ,
वुज मनक नयो कमाल करे I
अणि ती खंपाओ को
मान जागेगा,
खांपा, मुरख और टेपा
मालवा का नाम रोशन करेगा I
.
संजय जोशी "सजग"
है घणो प्यारो I
डग -डग नीर
पग-पग रोटी I
या वात वइगी
अब खोटी I
यां नी है मुरखां को टोटो I
यां को खांपो भी है
मगज में मोटो I
थ्री -इडियट सनिमो आयो
यां का खांपा,
मूरख अणे टेपा के भायो I
कदी कालिदास जिन्दो वेतो ,
तो ऊ घणो खुस वेतो I
जो मगज से काम नी करे ,
वुज मनक नयो कमाल करे I
अणि ती खंपाओ को
मान जागेगा,
खांपा, मुरख और टेपा
मालवा का नाम रोशन करेगा I
.
संजय जोशी "सजग"
:)
जवाब देंहटाएंaapka dhanyvad
जवाब देंहटाएं:-D जो मगज से काम नी करे ,
जवाब देंहटाएंवुज मनक नयो कमाल करे
बहुत खूब