फ्लेक्स पोस्टर का जादू [ व्यंग्य ]
फ्लेक्स पोस्टर का जादू इस कदर सर चढ़ कर का बोल रहा है कि हर कोई इसका दीवाना है शहर तो क्या गाँव भी इससे अछूते नहीं है l आजकल शुभकामनायें और बधाई दिल से देने की बजाय फ्लेक्स पोस्टर से दी जाती है सीधे देने पर , न लेने वाले और देने वाले को मजा आता है l अपनी भावना और समर्पण को प्रदर्शित करने का एक मात्र साधन यहीं तो है l फ्लेक्स पोस्टर की खोज ने फोटोछाप शौकिनों के वारे न्यारे कर दिए है कुछ तो इसी गुनतारे में रहते है या मौकौं की तलाश में रहते है कि कब मिले और कब उनका फोटो छपे l ऐसा करके शौकिनों को आत्मिक सुकून तो मिलता होगा ,जब तो इतना जतन करते हैl एक फ्लेक्स में जगह पाने का सुख तो वहीं जाने जो आये दिन छपते रहते है l चुनाव कैसा भी हो इनकी बाढ़ सी आ जाती है और पोस्टर प्रतियोगिता का आगाज हो जाता है l
मेरे एक मित्र सुबोध जी कहते है कि फ्लेक्स के इस अवसर को भुनाने के लिए पैनी नजर रखी जाती है उस पर छपने वाली फोटो का संग्रह पहले से रखा जाता है ,ज्यादा से ज्यादा फोटो छपवायी जाती है ,फ्लेक्स खुद ही बनवाते है और मित्र मंडल का नाम देकर सभी छपने वाले मित्रों को उपकृत करते है ,वो तो छपने से ही गदगद हो जाते है ,अपनी बधाई और शुभकामनाओं के इज़हार का सबसे बढ़िया तरीका हैl फ्लेक्स एक शक्ति प्रदर्शन का साधन हो गया है शहर में प्रवेश करते ही इनका जाल दिखना चालू हो जाता है l लगता है की जागरूक शहर में प्रवेश कर रहे है और यहां के लोग अपने नेता को कितना चाहते है फ्लेक्स की मूक भाषा सब बयान करती है l फ्लेक्स यह दिखाता है कि कौन -कौन तोकने तुकाने में लगा हुआ है l
वे आगे कहने लगे कि इस संस्कृति ने पोस्टर युद्ध को जन्म दे दिया है आये दिन ऐसे पोस्टर युद्ध की दास्ताने पढ़ने और सुनने को मिलती है l एक दूसरे को नीचा दिखाने के लिये फर्जी पोस्टर भीअपना रंग दिखाने लगते है किसने लगाया और क्यों पता ही नही पड़ता है सब अपना -अपना कयास लगाते है और फिर पोस्टर की फाड़ा ,फाड़ी और गायब तक होने लगते है l झुग्गी वाले मौका देखते ही इसे पाने की होड़ में लग जाते है ,वे अपने हिसाब से इसका उपयोग करने को तैयार रहते है l
सुबोध जी कहने लगे कि आजकल किसी भी कार्यक्रम की रूप रेखा में यह सबसे पहले स्थान पाता है, वाह रे फ्लेक्स तेरी महिमा ,सब को बना दिया दीवाना l कभी -कभी लगता है कि जो लगते है और जिनका फोटो होता है वही ज्यादा ध्यान से देखते है , इनके दिल में मेरे लिए कितनी जगह है कौन से नबर पर लिया है ,मेरे फोटो कि साइज छोटी क्यों है ,मेरा नाम तो नहीं बदल दिया ऐसी शंकाओ और कुंशकाओ की बीच झूलना मानसिकता बन चुकी है l फ्लेक्स के लिए अच्छे -अच्छे फोटोचयन करना ,हर फ्लेक्स पर छपने वाले की मजबूरी हो गई l अगले फ्लेक्स के लिए फिर वहीं तलाश, ये दिल भी कुछ लोगो का अजीब होता है ,बिना फ्लैक्स पर छपे मानता ही नहीं है l
तेरा फ्लेक्स पोस्टर मेरे से अच्छा क्यों है साइज भी बड़ा है लोग भी ज्यादा है ऐसे विचार हमेशा दिल को कचोटते है l पोस्टर तेरा और मेरा साथ हमेशा यूँ हीं बना रहे ,धूप हो या छाया ,दिन हो या रात ,हम साथ रहे l ऐ पोस्टर तेरा जादू चल गया और मैं फिर छप गया l
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