लोन की शान [व्यंग्य ]
लोन आधुनिकता की निशानी और शान समझा जाने लगा है , पुराने समय में लोन बनाम ऋण को घृणा की दृष्टि से देखा जाता था ,लोन लेना आन और शान के विपरीत माना जाता था पर उस जमाने में एक लोकोक्ति ऋण लेने वालों के लिए प्रयुक्त की जाती थी कि ,कर्ज लेकर घी पी रहा है याने कि सिर पर ऋण का बोझ होने के बावजूद मौज मस्ती चल रही हैlअब तो दिवालिये भी दीवाली शान से मनाते है, कर्ज लेकर l कालचक्र का उलट फेर ऐसा आया कि हर कोई लोन की गिरफ्त में है अपवाद ही होगा जो लोन से वंचित होगा l लोन लेना इतना आसान हो गया है कि लोन लेने के प्रति आपकी जरा सी सोच ,लोन देने वाले तक पहुंच जाये तो आपकी हैसियत से अधिक लोन दिलाकर ही रहेगा l लोन के वायरस ने सबको प्रभावित कर रखा है आम आदमी क्या सरकारें भी लोन लेकर प्रगति का आईना दिखा रही हैं l
पैसा बचाओ और उपयोग करो का फंडा अब लुप्त सा हो गया है अब तो लोन लो उपयोग करो चुकें तो चुकाओ नहीं तो भुगतेंगें देने वाले l देश में क्रय शक्ति का बढ़ना अर्थशास्त्र का कमाल नहीं है यह तो लोन और क्रेडिट कार्ड का चमत्कार है l इसकी टोपी उसके सिर ,मतलब लोन और क्रेडिट का भरपूर उपयोग ,जीवन में चकाचौंध लाने का यह एक मात्र उपाय है जिसने इसमें समन्वय सीख लिया तो सारे ख़्वाब पूरे करने का माद्दा आ गया l अपनी शान शौकत लोन के भरोसे चलाने वाले बिना डिग्री के अर्थशास्त्री ,दूसरों को भी इसकी लत लगाने में सफल हो रहे है , हर कोई लोनधारक है उनके जीवन का यही कारक है l
पहले किसानों के लिए कहा जाता था कि किसान का बेटा ऋण में जन्म लेता है और ऋण में ही मर जाता है अब यह बात व्यापक हो गई है और सब के लिए समान रूप से लागू होने लगी क्या राजा और क्या रंक ,सब लोन के बोझ से दबे हुए है l जीवन अब लोन और क़िस्त के आसपास मंडराने लगा है ,क़िस्त की चिंता में सोता है और क़िस्त चिंता में ही जागता है l लोन और क्रेडिट कार्ड के सहारे की शान शौकत अब सोने नही देती है हर कोई नींद न आने की बीमारी से ग्रसित है जिस कमरे में और जिस बेड पर सोता है वह भी लोन का ही है तो आसानी से कोई कैसे सो सकता है है l जो मोबाइल हाथ में होता वह भी लोन पर और तो और टाक टाइम का भी लोन ,लेने वाले अपनी शान समझते हैl
हर चीज लोन पर उपलब्ध है वह भी बिना ब्याज के l देने वाले की हिम्मत को दाद देते हुए लेने वाला ले ही लेता है l शिक्षा ऋण भी त्रासदी बनता जा रहा है रोजगार के अवसर बढ़ाये बिना
धड़ल्ले से लोन बांटा जा रहा है शिक्षा के बाद लोन चुकाने का इंतजाम कँहा से करें कि कई युवा बेचारे अपनी डिग्री ताक पर रखकर मजदूरी को मजबूर है l लोन लेते समय सब शर्ते आसान लगती है या यूँ कहे कि जब लोन लेना होता है तो कोई कुछ नहीं देखता ,केवल हस्ताक्षर की जगह देखता है कि लोन जल्दी मिल जाये l लोन लेना बहुत आसान लगता है लेकिन चुकाने में दिन में तारे नजर आने लगते है l
लोन लेना शौक बन गया है लोन देने वाली संस्थाए घर पहुंच कर लोन देने की सेवा को तत्पर है और लेने वाले भी मासूम बनकर येनकेन प्रकारेण लोन ले ही लेते है जब दोनों ही उतावले हो बात तो बननी है l कुछ निजी संस्थान आसान तरीके से लोन देते है और नही चुकाने पर साम ,दाम ,दंड का उपयोग कर वसूल करने का तरीका अपनाते है l जितनी बड़ी चादर हो उतने ही पांव पसारना चाहिए अब तो बिना चादर के पाँव पसारने का समय चल रहा है एक मालवी लोकोक्ति है कि
घर भाड़े ,घटती भाड़े और छोरा -छोरी जलेबी झाड़े ,इसका प्रचलन बढ़ता हुआ नजर आता है l और फिर सुबह उठकर टीवी वाले बाबा की सलाह पर ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करने को मजबूर हो जाते है l
लोन संस्कृति अपनी जड़े मजबूत करती जा रही हैं और शाखायें दिन दूनी रात चौगुनी बड़ रही है लोन के इस जहांन में हर कोई अपने आप को महान समझने का यत्न करने लगा है और मध्यम वर्ग हमेशा की तरह अपनी स्थिति उच्चतम बनाये रखने के लिए लोन पर लोन लेता रहता है लोन का मर्ज बढ़ता जा रहा है और इस मर्ज के इलाज के लिए भी लोन की खोज जारी रहती है l
लोन तेरी महिमा है न्यारी पर क़िस्त की रहती है मारा मारी ,जेब पर रहती है यह हमेशा भारी l बाप बड़ा न भैया सबसे बड़ा रुपैया जब तक यह रहेगा ,लोन तेरा नाम रहेगा l लोन से अलोन होना बड़ा कठिन है l
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