आजकल मानसून भी बिना बुलाये कहाँ आता है ?झुलसा देनी वाली गर्मी को सहने , कई मिन्नतों ,देवी ,देवतओं को मनाने के बाद ही आता है और मौसम विभाग कम मानसून की भविष्य वाणी कर चिंता में डालने का काम आने के पहले ही कर देता है हर वर्ष इनके अनुमान गलत साबित हो जाते है क्या करें ?जैसा भी आये मानसून का आना जरूरी है यह समृद्धि का सूचक है इसके आने से जीवनं में आशा और उत्त्साह का संचार होता है पानी के लिए तरसती , बिजली के लिए परेशान जनता ,व किसानों के मायूस चेहरों पर चमक आ जाती है सूखी धरती हरियाली की चादर से ढँक जाती है सूखे नदी -नालों में भी जलप्रवाह होने लगता है l
नये प्रेमी युगल मानसून की वर्षा में भीगने का भरपूर आनंद लेते हुए पहली बारिश तू और में भीगकर आपनी हसरत पूरी करते है मानसून रोमांस में वृद्धि का कारक भी है,तभी तो बॉलीवुड ने ऐसे कई फिल्मी गाने दिए जैसे - छतरी की छाया में छुपाऊँगा तुझे , ऐसे कई गाने है जो रोमांस में वृद्धि के लिए टॉनिक का काम करते है इस मौसम में बस थोड़ा नॉटी होने की कोशिश करनी चाहिए तभी इस मौसम का मजा आएगा ऐसा लगता है साक्षात प्रेम के देवता इस मौसम में बारिश की बूंदो की जगह प्रेम बाण छोड़ रहे है बड़े शहरों में तो ऎसे लवर्स पार्क की कोई कमी नही हैl बारिश प्रेमी कवि अपनी लेखनी सक्रिय कर देते है बारिश , सावन और श्रृंगार पर लिख कर मादकता बढाने में उत्प्रेरक का काम करते है l प्रेम की झूठी कल्पनायें करना ऐसे कवियों का शौक रहा है लिखने में क्या बुराई है यूँ भी थ्योरी और प्रेक्टिकल में भारी अंतर है....ये इतनी आसानी से मानते कहां है मान ले तो कवित्व पर दाग लग जाए l
मानसून का आना तपन से मुक्ति देता है वही बिजली की मांग व बिल में कमी करता है . मानसून का आगमन .से ..वीरान पड़े ..पिकनिक स्थलों पर रौनक आ जाती है नदी .तालाबों ..में भरा जल जोश भर देता है जैसे ..इतना पानी ..कभी देखा ही नही और कभी शायद देखने को न मिले और कुछ तो जोश में होश खो देते है और अनहोनी हो जाती है l ..
मानसून का आना एक नेक काम ओर करता है की भ्रष्टों की नीद उड़ा देता है निर्माण कार्यो की परीक्षा जो अपने आप हो जाती है बांध ,स्टाप डेम का बहना ,सरकारी नव निर्मित भवनों का रिसना ,सडक उखड़ना सड़के ऐसी हो जाती है सडक में गड्ढे या गड्ढों में सडक है ..पता हीं नही चलता और घटिया निर्माण की पोल खुल जाती है ..आरोप -प्रत्यारोप का दौर शुरू हो जाता है मानसून ..पूर्व ..की तैयारी का ढिंढोरा ऐसा जोर शोर से पीटते है कि सब कुछ तैयारी है पर मानसून के आने पर सब टायं-टायं फिस्स हो जाता है वही ..ढ़ाक के तीन पात .........
मानसून का कहर जहाँ निचली बस्ती में तबाही मचाता है भ्र्ष्टाचार का नया अध्याय शुरू हो जाता है .बाढ़ पीड़ितों के नाम पर मिलने वाली राहत किसे मिलती है भगवान ही जाने बाढ़ पीड़ितों के मासूम चेहरों ,दया की भीख भ्रष्टाचार ..के सामने बौनी लगती है ...
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मानसून का आना कहीं.ख़ुशी कहीं गम लाता है .......
संजय जोशी "सजग "
अच्छा व्यंग्य
जवाब देंहटाएंसरकार पर कटाक्ष
भा गया
सादर
shukriya sis
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