बुलेट बनाम लेट [व्यंग्य ]
बुलेट ट्रेन चलने की सुगबुगाहट जोरों पर है इनकी गति का भारत में कीर्तिमान बनेगा अब तक की सबसे तेज चलने वाली होंगी ये बुलेट ट्रेनें ,यह देश की प्रगति की सूचक बनेंगी लेकिन धीरे और लेट चलने वाली लोकल आम आदमी की ट्रेनों के हालात तो बद से बदतर हैं लेट -लतीफी में बड़े -बड़े कीर्तिमान है अब बुलेट ट्रेन अपनी तेज गति का मापदंड स्थापित करेगी l बहुत बड़ा वर्ग इनसे अछूता ही रहेगा सिर्फ दर्शन मात्र से ही अपने आप को धन्य समझेगा ओर हक्का बक्का रह जाएगा और कुछ मिनट के लिए अपनी सब तकलीफें त्याग देगा उसे देख्नने की खुशी में l सभी लोकल ट्रेनों को बुलेट में बदलना अगले चुनाव की लालीपाप होगी l
ट्रेनों में जन सामान्य वर्ग के साथ अपडाउन करने वाला एक विशेष वर्ग होता है जो नींद मे भी जागता रहता है और हमेशा ट्रेन के लेट होने के दर्द से विचलित होकर रेलवे को कोसता रहता है वह रेलवे की कारगुजारियों व खामियों के साथ देश की समस्त घटित और अघटित घटनाओं का विशेषज्ञ होता हैं ट्रेनों का लेट होना उसके ज्ञान में वृद्धि करने में सहायक होता हैl ट्रेन के लेट होने की महामारी से उसे ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारी गिफ्ट के रूप में प्राप्त हो जाती है , और आफिस में रोज -रोज लेट पहुँचने के बहाने बनाकर तंग आ जाता है ऐसे ही एक महाशय ने अपना अर्जित ज्ञान बुलेट ट्रेन की चर्चा के दौरान उड़ेल डाला की बुलेट जेब पर भारी होगी और लोकल ट्रेन लेट होने से समय पर भारी है,रेल के लेट होने की नियति की कोई सीमा नहीं जहां चाहे रोक देतें हैं पड़े रहो घंटो , फ़ास्ट ट्रेनों को निकलते हुए निहारते रहो ,जिसने लोकल गाडी में और लोकल कोच में यात्रा की हो वहीं जानें, रेलवे के नीति निर्धारकों को भी लोकल ट्रेन व कोच में यात्रा करनी चाहिए तो अनुभव होगा की क्या जरूरी है और क्या नहीं lबुलेट ट्रेनों की गाज तो सभी ट्रेनों पर गिरेगी और लोकल ट्रेन व आम आदमी इससे और त्रस्त हो जाएगा अभी क्या कम है ?लोकल ट्रेनें लावारिस सी लगती हैं और ख़ाने -पीने के कचरे का ढेर ,बदबू व मच्छरों की भरमार , भीड़ खचाखच ,कर्कश आवाजें ,गुत्थम -गुत्था ऐसा होता है आम आदमी की रेल का सीन ,यह सब सहकर दिमाग चक्कर घिन्नी होता हैं और ऊपर से लेट पर लेट l लेट लतीफी और सफाई पहले इस पर काम होना चाहिए फिर बुलेट का सपना साकार करना चाहिये l
संजय जोशी 'सजग "[ व्यंग्यकार ]
बुलेट ट्रेन चलने की सुगबुगाहट जोरों पर है इनकी गति का भारत में कीर्तिमान बनेगा अब तक की सबसे तेज चलने वाली होंगी ये बुलेट ट्रेनें ,यह देश की प्रगति की सूचक बनेंगी लेकिन धीरे और लेट चलने वाली लोकल आम आदमी की ट्रेनों के हालात तो बद से बदतर हैं लेट -लतीफी में बड़े -बड़े कीर्तिमान है अब बुलेट ट्रेन अपनी तेज गति का मापदंड स्थापित करेगी l बहुत बड़ा वर्ग इनसे अछूता ही रहेगा सिर्फ दर्शन मात्र से ही अपने आप को धन्य समझेगा ओर हक्का बक्का रह जाएगा और कुछ मिनट के लिए अपनी सब तकलीफें त्याग देगा उसे देख्नने की खुशी में l सभी लोकल ट्रेनों को बुलेट में बदलना अगले चुनाव की लालीपाप होगी l
ट्रेनों में जन सामान्य वर्ग के साथ अपडाउन करने वाला एक विशेष वर्ग होता है जो नींद मे भी जागता रहता है और हमेशा ट्रेन के लेट होने के दर्द से विचलित होकर रेलवे को कोसता रहता है वह रेलवे की कारगुजारियों व खामियों के साथ देश की समस्त घटित और अघटित घटनाओं का विशेषज्ञ होता हैं ट्रेनों का लेट होना उसके ज्ञान में वृद्धि करने में सहायक होता हैl ट्रेन के लेट होने की महामारी से उसे ब्लड प्रेशर जैसी गंभीर बीमारी गिफ्ट के रूप में प्राप्त हो जाती है , और आफिस में रोज -रोज लेट पहुँचने के बहाने बनाकर तंग आ जाता है ऐसे ही एक महाशय ने अपना अर्जित ज्ञान बुलेट ट्रेन की चर्चा के दौरान उड़ेल डाला की बुलेट जेब पर भारी होगी और लोकल ट्रेन लेट होने से समय पर भारी है,रेल के लेट होने की नियति की कोई सीमा नहीं जहां चाहे रोक देतें हैं पड़े रहो घंटो , फ़ास्ट ट्रेनों को निकलते हुए निहारते रहो ,जिसने लोकल गाडी में और लोकल कोच में यात्रा की हो वहीं जानें, रेलवे के नीति निर्धारकों को भी लोकल ट्रेन व कोच में यात्रा करनी चाहिए तो अनुभव होगा की क्या जरूरी है और क्या नहीं lबुलेट ट्रेनों की गाज तो सभी ट्रेनों पर गिरेगी और लोकल ट्रेन व आम आदमी इससे और त्रस्त हो जाएगा अभी क्या कम है ?लोकल ट्रेनें लावारिस सी लगती हैं और ख़ाने -पीने के कचरे का ढेर ,बदबू व मच्छरों की भरमार , भीड़ खचाखच ,कर्कश आवाजें ,गुत्थम -गुत्था ऐसा होता है आम आदमी की रेल का सीन ,यह सब सहकर दिमाग चक्कर घिन्नी होता हैं और ऊपर से लेट पर लेट l लेट लतीफी और सफाई पहले इस पर काम होना चाहिए फिर बुलेट का सपना साकार करना चाहिये l
निरंतर अपनी बात कहे जा रहे थे ओर महाशय जी अब ट्रेन की तरह बेपटरी हो गये
और कहने लगे कि पटरियों का
ज़ाल बुलेट ट्रेन को नही सह पायगा और हम जैसे तो जान हथेली पर लेकर रोज घर
से निकलते है कि कोई अनहोनी न हो जाएं l प्लेट फार्म
पर उदघोषणा सुनकर कि 'ईश्वर आपकी यात्रा सफल करें " भय और बढ़ जाता है
कि
रेलवे भी यात्री को भगवान भरोसे छोड़ देते है ओर समय पर सुरक्षित पहुंचा
दे...... मतलब रेलवे की सुपर सेवा का क़माल। मैंने उन्हें रोकते हुए कहा
कि भाई बस करो में सब समझ गया और आपकी बात का कायल हो गया की बुलेट से
पहले लेट पर नियंत्रण जरूरी है आपकी पीड़ा सही है lजब तक है सांस तब तक है
आस...यही सोचकर जीते रहो l
संजय जोशी 'सजग "[ व्यंग्यकार ]
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