बुधवार, 23 अक्तूबर 2013

बांस और बॉस


                बांस  और बॉस
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   एक  विभागीय  परीक्षा में  एक प्रश्न था   "बॉस  और बांस "पर तुलनात्मक अध्ययन पर प्रकाश  डालिए ....I
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  पहले बिजली का विस्तार नहीं  था, अब बिजली नहीं  है बात तो एक ही है अत: प्रकाश डालना जरूरी है बॉस पर प्रकाश डालना मतलब उसे अंधकार  से उजाले की और ले जाना ,चमचों को छोडकर यह काम दूसरा करने की  कल्पना भी नहीं करता,  यह  विषय विभागीय परीक्षा  के लिए अत्यंत कठिन , गम्भीर और  महत्वपूर्ण था   इससे परीक्षार्थी की योग्यता और बॉस के प्रति अवधारणा  को ज्ञात करना था I.एक अति समझदार परीक्षार्थी  ने बांस और बॉस के बारे .में  कुछ  यूँ लिखा .....  ..

 ."बॉस  और बांस " में काफी समानताएं होती है आजकल  गेंग के मुखिया  को भी  बॉस कहा जाता है कितना पतन हो गया है बॉस   शब्द का ,  शायद आप सहमत न हो ये मेरे
व्यक्तिगत विचार  है केवल परीक्षा तक ही सीमित रखे .क्योकि  लिखना  जरूरी और मजबूरी  दोनों  है इसे अन्यथा न लेकर  जमीनी  हकीकत समझे .हर  देश और हर आफिस  का बॉस ऐसा ही होता है  और  बांस  विश्व  में लगभग   समान होता है  ."बॉस  और बांस ".के बारे में .मेरी ...अल्प जानकारी निम्नानुसार है .....


                           
      समानताएं
1.बांस जितना लम्बा /बड़ा होता है उतना ही  टेड़ा होता है ",बॉस "भी ओहदे में जितना
बड़ा होता है उतना ही टेड़ा होता है ..यह शाश्वत सत्य है I
२.बांस अंदर से खोखला होता है I",बॉस".भी अंदर से खोखला ही होता है उसका ज्ञान
सिमट जाता है और राजनीति के सहारे चलता है
३.",बॉस" ऊपर से कठोर होता है I",बॉस" भी ऊपर से कठोर दिखने का अभिनय करता है .वस्तुतः कठोर होता नहीं बल्कि .माहौल बनाता है यह उसकी मजबूरी है ..",बॉस" का होना I
४.बांस जब फट जाता है ,फटा  बांस  खूब आवाज करता है यह भीड़ को नियंत्रित करने में
   अहम भूमिका निभाता है .",बॉस" का मन जब फट जाता है तो वह भी जोर -जोर
   से चिल्लाता  है अपनी दहशत फ़ैलाने के लिए आफिस में .
५. बांस में छोटी -छोटी दूरी पर गठानें होती है जो प्रकृतिक होती है ,.",बॉस" छोटी -छोटी
    बात पर गठान बना लेता है और समय आने पर उन्हें और कसता है
६.   बांस से फल ओर छाया दोनों नही मिलते  ",बॉस" से भी नही

                                 असमानताएं
१-  बांस जीवन के अंतिम पड़ाव तक साथ निभाता है ",बॉस"  नही
२.बांस कागज बनाने के काम आता है ,ओर ",बॉस"उसी कागज पर कई लोगों से      बदला लेता है
३ बांस   की टहनियां ..बासुरी  बनती है जो सुमधुर ध्वनी देती  है ",बॉस"  के चमचे [टहनी ]कई की  जिन्दगी में जहर घोलते है ",बॉस" को  बरगलाकर अपना उल्लू सीधा  करते है


४ . बांस अपने दम पर इठलाता है,  बॉस चमचों  के बल पर  इतराता है

५. बांस  बहु उपयोगी होता है ",बॉस" केवल तनाव व बीमारी प्रदाता है
 ६. बांस निर्जीव और बॉस  सजीव होता है फिर भी ..निर्जीव जेसा व्यवहार करने से बाज नही आता ,बॉस हो यदि बिग बॉस होतो ..छुट्टे सांड की तरह ......और  खतरनाक होता है सीरियल के बिग बोस से इस  प्रश्न पत्र का कोई सम्बन्ध नही है  वह समाज और संस्कृति में विकार पैदा करने का बिग  डोस है
  
 और अंत में ....
   बांस का जीवन सरल होता है ",बॉस" का जीवन  कुंठित ,भयग्रस्त ,रहता है तनाव
लेना और सबको बाँटना  उसका मुख्य धर्म होता है 


   सेवा निवृति के पश्चातमानसिक रोगी बनकर ,अंदर अंदर ही कूड  कर आपनी आत्मा से साक्षात्कार  करता है  कि,बॉस" के रूप में मैंने  अनगिनत अत्याचार किये इससे अच्छा तो बांस कम से कम अच्छा शुद्ध वातावरण तो  देता है मेने नही दिया .....नही तो आज  मे भी मजे में जीता चिड़िया चुग गई  खेत अब क्या हो

    बांस और ",बॉस"........जीवन की सीख है ....सीख सको  तो सीख  ताकि  अंत  में न पछताना पड़े शायद  इसीलिए यह प्रश्न दिया गया है ..ताकि भविष्य में......कुछ
संस्कारवान बॉस ....की उत्पप्ति हो सके ...




नोट:-अभी तक अप्रकाशित रचना 
 



संजय जोशी " सजग "
७८ गुलमोहर कालोनी  रतलाम [ म.प्र]
०९८२७०७९७३७

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