हाय मंत्री जी ... का .चिन्तन ...
वाह मंत्री जी आपने भी कमाल किया मंदिर ओर शौचालय का भेद बताया Iलगता है मंत्री जी ने अपने पांच सितारा शौचालय में इस विचार को अंजाम
दिया होगा I
शुद्ध हिन्दी भाषा में शौचालय को " आत्म चिन्तन केद्र कहा जाता है ऐसे विचारो उत्पत्ति उसी केंद्र का परिणाम हो सकता है I हमारे देश में राजनेताओ की विचारो की उत्पति का प्रमुख केंद्र है लगता है अपने आप को ज्यदा तनाव मुक्त वही पाते होगे I देश की हर समस्या का चिन्तन उसी आत्म चिन्तन केद्र में करते है और विवादित बयानोंकी बौछार करते है Iलगता है हमारे देश और संस्कृति के पतन के कारण ये पांच सितारा 'आत्म चिन्तन केंद्र " ही है मंदिर और शौचालय के बारे जो चिन्तन हुआ वह उनके लिये पवित्र स्थान होसकता है जिससे
उनकी राजनीति चलती है और नित नये चिन्तन को जन्म देते है यह चिन्तन केद्र आजकल बहुतायत में पाए जाते है पर सबका स्वरूप भिन्न -भिन्न होता है जेसे वी . आई .पी ..लोगो .का पांच सितारा 'आत्म चिन्तन केंद्र .जन सामान्य का साधारण .गरीबो का सार्वजनिक ., ग्राम वासियों ....जंगल में खुला स्थान ...आदि I अत: चितन का दायरा भी अलग अलग होता है एक .मंत्री .नेता ...कवि .लेखक व्यापारी सबका अपना चिन्तन का विषय अपने कार्यानुसार होताहै I बेचारा गरीब आदमी ...तो अपनी रोजी -रोटी और बढती महंगाई का चिन्तन कर दुखी होता है और चारा ही क्या है .
जिनके के पास 'आत्म चिन्तन केंद्र " है ही नही ...वे खुले में और जंगल का उपयोग करते है वह चिन्तन की प्रक्रिया से वंचित रहते है ....प्रकृति दर्शन उनकी चिन्तन को विचलित कर देता है और वो चिन्तन मुक्त जीवन जीते है बचारे इस प्राणी को ...ठेठ .गंवार कह दिया जाता है .ये आत्म चिन्तन केद्र
अगर हमारे देश वासियों के पास १०० प्रतिशत शौचालय होतो सब चिन्तन शील हो जायेंगे और सरकार क हर कदम का चिन्तन करेगे ओर पांच साल बाद सरकार को सडक पर ला देगे अत: सरकार भी नही चाहती ऐसा होपर सिर् इसकेप्रति चिंता दर्शाती है और अपने कर्तव्य की इति श्री कर लेती है बुद्धि जीवियो को हमेशा यह खलता है की हमारे देश में सामजिक .संस्कृति ,नेतिक मूल्यों में गिरावट का क्या कारण
है ..इन सब का मुख्य कारण पांच सितारा ;आत्म चिन्तन केद्र है .जिसका ...बखान हाल ही ..में मंत्री जी इन्हें मंदिर ..से ज्यदा पवित्र बताकर कर दिया .आजकल घरो ...में भी .धर्म स्थान की निर्माण पर कम खर्च होता आत्म चिन्तन केद्र पर बहुत ज्यदा खर्च कियाजाता है ......जो ऐसी मानसिकता को दर्शाता है ...जो भी .हो धनुष से छोड़ा गया तीर ओर मुख से निकले शब्द ....से ...शरीर ओर दिल ...छलनी होता है .मंत्री जी तो ..अपनी बात कह गये कितनो की धार्मिक ..भावना पर कुठाराघात कर गये ......अब क्या आप बयान पर बहस और चितन .. करते रहो .........लगता है ...चुना.में सरकार ..देश ..में आधुनिक शोचालय की निर्माण को मुख्य प्राथमिकत दे.नवचिनतं की ओर अग्रसर हो ......वाह इस मुद्दे पर नयी बहस छिड़ी है ...गलत बयानों से मचाते बबाल देश की प्रगति होती है हलाल ,सदियों से हम यही सुनते आये है ....मंदिर होते है पावन औरपवित्र ..ऐसा करके विकृत करते है संस्कृति .का चित्र सोचो हमारे देश के कर्ण धार ऐसे वक्तव देकर क्या दिखाना चाहते है .जन सामान्य की समझ से परे .....हमारी प्राचीन मंदिर संस्कृति का खुला मजाक है ........
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