मालवी हायकू
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१
झूठो सामान
हांच री दुकान में
बिकतो गयो
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2
वादरो रोयो
म्हारी आँखा में आलो
पाणी आयो
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3
गोधूलि सांज
चंदन जैसो धुरो
माटी री गन्ध
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4
तालाब सुख्या
चिड़ी हाफडे ,पिये
कटोरी पाणी
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5
हाँच कड़वो
रूपारो लागे झूठ
बाजी में जीत
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6
तपी धरती
लाल अंगार बणी
झाड़का छाँव
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7
भूल्या तेवार
आपसी व्यवहार
करे व्यापार
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८
तीखो तड़को
घणा याद आवेरे
हरा झाड़का
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9
म्हारी मालवी
अस्तर लागे मीठी
गोल री ढेली
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10
सबसे न्यारो
जगत में रुपारो
म्हारो मालवो
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संजय जोशी "सजग "
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