---शूलिका--
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नवरात्रि में होता कन्याभोज l
करनी पड़ती कन्या की खोज l
भ्रूण हत्या हो रही रोज l
अंजाम देती डॉक्टर की फ़ौज l
कन्याए खो रहे अन्धविश्वास में l
जी रहे हें आधुनिकता के छद्म वेश में l
कौन कहता हे इक्कीसवी सदी हे l
सोच तो आज भी रूढ़िवादी हेl
करनी पड़ती कन्या की खोज l
भ्रूण हत्या हो रही रोज l
अंजाम देती डॉक्टर की फ़ौज l
कन्याए खो रहे अन्धविश्वास में l
जी रहे हें आधुनिकता के छद्म वेश में l
कौन कहता हे इक्कीसवी सदी हे l
सोच तो आज भी रूढ़िवादी हेl
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संजय जोशी "सजग "
दुखद और भयावह सत्य है :-(
जवाब देंहटाएंshukriya aapka
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