रविवार, 29 सितंबर 2013

प्रयास-

                    ---प्रयास-----
शुद्ध पर्यावरण का हो हमेशा हमारा प्रयास
नदियों में बहे निर्मल जल  हो हमारा प्रयास
जन -जन के स्वाथ्य और जीवन का आधार
 प्रकृती खिलखिलाती रहे हमेशा हो हमारा प्रयास
---------संजय जोशी "सजग "-----------------

शुक्रवार, 27 सितंबर 2013

बापू का देश



बापू का  देश 


बापू हमारे देश में
नेता हे खादी के वेश में
प्रजातंत्र के रखवाले हे
देश इनके हवाले हे
किसान आत्म हत्या करता हे
शिक्षक काम के बोझ से मरता हे
जनता भूख से बदहाल हे
बापू देश का यह हाल हे
न्याय बहरा गुंगा हे
जनसेवको ने जनता को ठगा हे
जनतंत्र में भ्रष्टाचार हे
हर पत्र में यही समाचार हे
देश में संप्रादाएवाद एवं जातिवाद हे
क्षेत्रवाद एवं भाषावाद हे
आतंकवाद एवं नक्सलवाद हे
परिवारवाद एवं अवसरवाद हे
देश में कए बेईमान हे
फिर भी हमारा भारत महान हे
सड़को पर लगता जाम हे
यह समस्या आम हे
नाम के लिये हर कोई मरता हे
काम कोई नहीं करता हे
बापू आजाद भारत की यह कहानी हे
यह हिंदुस्तान जनता की जुबानी हे

संजय जोशी "सजग"

रविवार, 22 सितंबर 2013

करसाण रो दुःख [मेरी मालवी कविता ]

करसाण रो दुःख [मेरी मालवी कविता ]


धरती माता रोवे
धरती पुत्र भूखो सोवे
ऊ करजा में जन्मे है
ने कर्जा मेंज मरे है

लेण रांदे है घणी
कस्तर दे खेत में पाणी
टेम पे मिले नि बिज
टेम पे मिले नि खाद
फसला वई जाये बरबाद

जदे मोसम की मार पड़े रे
करसाण कई करे
फसल अई जावे तो
हाउ भाव नि मले रे

सरकार असो कारज करे .
अन्नदाता कदी बेमोत नि मरे

------ संजय जोशी "सजग "


*करसाण...किसान

बुधवार, 18 सितंबर 2013

सोशल नेटवर्क साईटस प्रदूषण की शिकार


रविवार, 15 सितंबर 2013

सम्बोधन


सम्बोधन [मुक्तक]
स्वार्थ की नियत से बदल जाते सम्बोधन
रोज -रोज गिरते राजनीति में सम्बोधन
समझना कठिन रोज बदलती मानसिकता
संस्कृति के लिए घातक घटिया सम्बोधन
--------संजय जोशी "सजग "---------------

शनिवार, 14 सितंबर 2013

***** भाग्य **************

 
 ***** भाग्य **************
अच्छे संस्कार से निर्मित होता भाग्य
चरित्र और विचार से ही बनता भाग्य
अच्छे कर्म में हमेशा साथ देगा विधाता
सफल जीवन का निर्माता हमारा भाग्य

-----संजय जोशी "सजग "--------------

शुक्रवार, 13 सितंबर 2013

राष्ट्र भाषा की व्यथा

 ** राष्ट्र भाषा की व्यथा**


राष्ट्र भाषा की व्यथा
 दु:ख भरी इसकी गाथा
 क्षेत्रियता से ग्रस्त हे
 राजनीति से त्रस्त   हे      
 हिन्दी का होता अपमान
 घटता हे भारत का मान
 हिन्दी दिवस पर्व हे
 इस पर हमें गर्व हे
 सम्मानित हो राष्ट्रभाषा
 सबकी यही अभिलाषा
 सदा मने हिन्दी दिवस
 शपथ लें  मनें पूरे बरस
 स्वार्थ को छोड़ना होगा
 हिन्दी  से नाता जोड़ना होगा                                                      
  हिन्दी का करे कोइ अपमान
 कड़ी सजा का हो प्रावधान
 हम सब  की  यह   पुकार 
 सजग हो हिन्दी के लिए  सरकार  
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संजय जोशी "सजग "

         

------- हिंदी ---------



--------  हिंदी ---------
भाषा जब सहज बहती
संस्कृति,प्रकृति संग चलती
भाषा सभ्यता की सम्पदा
सरल रहती अभिव्यक्ति सर्वदा
कंप्यूटर के युग के दोर में
थोपी जा रही अंग्रेजी शौर में
      आधुनिकता की कहते इसे जान
      छीन रहे है हिंदी का रोज मान 
      हम सब मिलकर दे सम्मान 
      निज भाषा पर करे अभिमान 
      हिदुस्तान के मस्तक की बिंदी
      जन जन की आत्मा बने हिंदी
      हिंदी के प्रति होगे हम सजग
      राष्ट्र भाषा को मानेगा सारा जग

      -------संजय जोशी सजग ----

हिन्दी का अंग्रेजीकरण



हिन्दी का अंग्रेजीकरण

    वर्तमान में हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी उसके अंग्रेजीकरण से अपने मूल स्वरूप को खोती जा रही है हिंदी में कई ऐसे शब्द है जो अंग्रेजी से सरल और सहज है फिर भी अंग्रेजी मानसिकता के कारण हिंदी के साथ मिश्रित कर बोलने व लिखने  का दौर चल रहा है अंग्रेजी आजकल आधुनिकता का पर्याय बन गयी है
हिंदी पर अंग्रेजी के अतिक्रमण के कारण कई हिंदी शब्द लुप्त हो रहे या लुप्त होने की कगार पर है समय रहते हमने हमारी राष्ट्र  भाषा हिंदी  को सहेजने के और प्रयास
नहीं किये तो भाषा की अस्मिता को खतरा उत्पन्न हो जायेगा

सूचना प्रोद्योगिकी के दोर में कई राष्ट्रों की राष्ट्र  भाषा संकट के दोर से गुजर रही है लेकिन जिस तरह से अंग्रेजी हमारी भाषाओँ पर हावी होती जारही है या हावी किया जा रहा है यह सिर्फ चौकाने का  ही नहीं चिंता का विषय है अंग्रेजी का आक्रमण हमारी  की प्रकृति भाषाओँ और प्रवृति दोनों पर पर नकारात्मक प्रभाव डाल रहा है वेश्वीकरण और कम्प्यूटरकरण की दुहाई देकर हमारी भाषाओँ पर  अंग्रेजी थोपी जारही है ,लेकिन सच्चाई  यह भी है की कहीं न कहीं यह अहसास भी कराया जा रहा है की अंग्रेजी आधुनिकता  का प्रतीक है ओर अंग्रेजी उच्चता का प्रमाण पत्र है

अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा नई पीढ़ी को राष्ट्र  भाषा से दूर कर दिया , अपनी समझ और अभिव्यक्ति जितनी आसानी से अपनी मातृभाषा में होती है वह अन्य भाषा में नही ,कई राष्ट्र है जो अपनी राष्ट्र भाषा का पूर्ण सम्मान करते  तथा उसका अधिकतम उपयोग कर उसे अन्य भाषा से सर्वोपरी मानते है हमारे देश की दुखद: स्थिति है हिंदी को अंग्रेजी की तुलना में कम आँका जाता है और हिंदी के उपयोग करने वालो को निम्न कोटि का समझा जाता है

 राष्ट्र भाषा हिंदी पर  अंग्रेजी के प्रहार  के साथ साथ क्षेत्रीय बोली , जातियता  व राजनैतिक आघातो को निरंतर सहना उसके पतन का  कारण है

हिंदी  इतनी सम्रद्ध भाषा होने के बावजूद  हमारी  सर्वोच्च संस्थाओ का पूर्ण मनोयोग
से इसके प्रति गंभीर न होना दुःख का कारण है

भाषा संस्कृति का वाहक होती है ,अपनी राष्ट्र भाषा के प्रति उपेक्षा पूर्ण दृष्टीकोण के बारे में समग्र चिन्तन की आवश्यकता है नही तो भाषा अपनी मान्यता के साथ प्राणवत्ता भी  खो देती है

   हिंदी दिवस वर्ष में एक बार मनाकर हम राष्ट्र भाषा के प्रति अपनी  श्रद्धा का प्रचार
प्रसार तो कर देते है पर इसकी  दुर्दशा से  टीस तो होती है हर राष्ट्र भक्त के मन में
 टीस को टीस न रहने और कुछ कर दिखाने का संकल्प ले .
         

संजय जोशी सजग

शनिवार, 7 सितंबर 2013

***पधारो एक दन्त****

***पधारो एक दन्त**** -------------------------------------
पधारो एक दन्त, दया वंत
हरलो सब समस्या ज्वलंत
साथ में हो रिद्धि और सिद्धि
कम करो महंगाई न हो वृद्धि
चहूँ और फैले शांति व समृद्धि

जन जन को दे दो सद बुद्धि
जय गणेश हो करुणा निधान
हर पूजा में आप सबसे प्रधान
प्लास्टर आफ पेरिस में न विराजे
देवा मिटटी की मूर्ति मेही साजे
हम मिलकर शुभ प्रण ले सब संग
  जनहीत की इस मुहीम लाये रंग
पर्यावरण के लिए बदले अपना ढ़ंग
समाज में आये उत्साह और उमग
----संजय जोशी 'सजग " 

बुधवार, 4 सितंबर 2013

शिक्षक दिवस

शिक्षक दिवस

शिक्षक दिवस हर वर्ष आता हे
तभी तो शिक्षक की याद आती हे
सरकार को शिक्षा से नहीं हे वास्ता
तभी तो शिक्षा की हालत खस्ता
शिक्षक कितना सस्ता हे
सभी सरकारी कार्य करता हे
छात्रों का भारी हे बस्ता
शिक्षा में नहीं गुणवत्ता
शिक्षक की सुनो पुकार
बिना शिक्षा के हे अन्धकार
शिक्षक को शिक्षा ही देने दो
दुसरे कार्यो से मुक्ति दो
शिक्षक दिवस तभी सार्थक होगा
शिक्षा एवं शिक्षक पर शासन सजग होगा
 05/09 /13   शिक्षक दिवस .......हेतु .......



                           फिर  आया शिक्षक दिवस ........


  शिक्षक बिना  शिक्षा की कल्पना अधूरी  है फिर  भी न जाने क्यों देश के कर्ण
धारो के कान पर जूँ नही रेंगती  ,शिक्षक को शिक्षा के अलावा  देश के  हर
अभियान में मुख्य भूमिका निभाना मजबूरी है, कहते है ..शिक्षक  राष्ट्र
निर्माता है पर नई पीढ़ी  को  केवल भोजन निर्माता ही लगते है ,जन गणना से पशु
गणना पंचायत चुनाव से लेकर लोकसभा के चुनाव का बोझ बेचारा  शिक्षक ही तो  ढोता
है अभी कुछ दिन पूर्व ही आर्थिक सर्वे , स्कूल चलो अभियान ...........न जाने
..क्या क्या ...उसे ही करना है  राष्ट्र निर्माता जो ठहराI

            शिक्षा के राजनीतिकरण ने शिक्षक की भूमिका को गौण  कर दिया , उसे
पढ़ाईसे ज्यादा  मध्यान्ह  भोजन के लिए  मशक्कत करनी पड़ती. है सारी की सारी उर्जा
अन्य कामों  में  ही नष्ट हो जाती है .....पढ़ाई ....के लिए .तन और मन कैसे
लगाये I
                       शिक्षा के गिरते स्तर के लिए वर्तमान राजनीतिकवातावरण और
कण-कण में व्याप्त महामारी भ्रष्टाचार की अहम भूमिका  है ,सरकारी स्कूलों से
मोहभंग ,हो रहा है तभी तो सरकार को स्कूल चले अभियान पर खर्च करना पड़रहा है
.सरकारी स्कूल में छात्रों की संख्या का कम  होना और .निजी स्कूलों में भीड़ का
बढना   सरकारी स्कूल के अस्तित्व के लिए घातक है ..कभी ऐसा न  हो कि  सरकारी स्कूल
पुरातत्व की धरोहर  बन  जाए ..और आने वाली पीढ़ी  को बताये की ऐसे  होते थे
सरकारी स्कूल . कहीं एसा न होकी  भविष्य में सरकारी स्कूल भी  रोडवेज की  तरह
समाप्त हो जायेसरकारी स्कूलों   की दशा और दिशा दोनों में बदलाव जरूरी है I


          देश के कर्ण धरो को स्वहित से ही समय नही तो देश की शिक्षा व्यवस्था
से क्या लेना देना ,वे जानते  है क्योकि जितने कम पड़े लिखे लोग होगे .उन पर
आसानी से शासन किया जासकता है I

              शासन के नित नये प्रयोगों के बावजूद भी ठोस परिणाम नही मिलता
केवलकागजी योजना और ढोल पीटने का काम किया जाता है .....परिणाम  शून्य ...और ढाक
के  वही  तीन पात.........I

          शिक्षक दिवस हर वर्ष मनाया जाता है .शासन और कई सस्थाओ द्वरा सम्मान
की  बाढ़ सी आजाती है ..और समस्त  औपचारिकता पूर्ण की जाती है , जेसे हम इनके
प्रति गंभीर ओर संवेदनशील ..है . शिक्षक और शिक्षा की हालत का असली मूल्याकंन
कौन करेगा .यह यक्ष प्रश्न आनेवाले शिक्षक  दिवस के इंतजार में .......आंसू
बहांता रहता है .....और  बहाता रहेगा .अंग्रेज..मेकाले के बोये बीज  फल फूल
रहे है .और संस्कार विहीन शिक्षा ,क्योकि ....आने वाली पीढ़ी.से ....किसको .
लेना देना ......Iदेश का बन्टाधार हो रहा  है .शिक्षक के लिए केवल ..शिक्षा
देना  का काम  ही सर्वोपरी  न  होकरअन्य सोपे गये कार्यो में निपुणता ही
आज उसे असली शिक्षक  बनाती है और छात्रो  को तोता  रटंत ......Iबार -बार यह दिन आये
 ,हम सब इसके महत्व को जान सके , रोज ही क्यों  न मनाये शिक्षक दवस ..सार्थक हो
 यह दिन हर देश वासियों  के ..की यही हो ..कामना
...


संजय जोशी "सजग "